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शहर के एक निजी अस्पताल में उपचाराधीन 17 वर्षीय लड़की की संदिग्ध परिस्थितियों में डेंगू से मौत हो गई। परिजनों ने अस्पताल के चिकित्सक पर उपचार में लापरवाही बरतने के आरोप लगाए हैं। स्वास्थ्य विभाग के रिकार्ड के अनुसार जिले में अभी तक डेंगू के चार पेशेंट मिले है और 372 घरों में डेंगू का लारवा पाया गया है।
सेक्टर-13 स्थित न्यू हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी निवासी फतेह सिंह की पुत्री को छह दिन पहले बुखार की शिकायत हुई थी। इस पर फतेह सिंह ने बेटी के टेस्ट करवाए तो पता चला था कि उसकी प्लेटलेट्स सामान्य से कम है। इस पर उसे चिड़ियाघर रोड स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करवाया और उन्होंने चिकित्सक को बताया कि बेटी की प्लेटलेट्स एक लाख आठ हजार है।
इस पर चिकित्सक ने लड़की का उपचार शुरू किया। लड़की को चार दिन अस्पताल में भर्ती रखा, लेकिन अगले ही दिन लड़की की प्लेटलेट्स 77 हजार पर आ गई। इसके अगले दिन 63 हजार पर पहुंच गई और 24 घंटे बाद स्वास्थ्य में कुछ सुधार हुआ और प्लेटलेट्स 63 हजार से बढ़कर 69 हजार पर पहुंच गई थी, लेकिन इसके अगले दिन स्वास्थ्य ज्यादा खराब हुआ और प्लेटलेट्स 41 हजार पर आ गई।
सोमवार सुबह लगभग तीन बजे परिजनों की चिकित्सक से फोन पर बात हुई तो उन्हें बताया गया कि लड़की की प्लेटलेट्स 29 हजार पर आ गई हैं, लेकिन घबराने की कोई बात नहीं है, ठीक हो जाएगी। उसे कुछ समय के लिए वेंटिलेटर पर रख रहे हैं। लगभग सवा तीन बजे चिकित्सकों ने परिजनों को बताया कि मरीज की हालत अधिक खराब हो गई, इसलिए उसे ले जाएं, लेकिन इसी दौरान लड़की ने दम तोड़ दिया।
डेंगू पेशेंट के संबंध में तुरंत देनी होती है सूचना
डिप्टी सीएमओ एवं डेंगू नोडल ऑफिसर डॉ. संध्या गुप्ता ने बताया कि नियमों के अनुसार कोई भी प्राइवेट अस्पताल व लैब संचालक किसी भी मरीज का डेंगू टेस्ट कर यह घोषित नहीं कर सकता कि मरीज को डेंगू है। क्योंकि डेंगू एंटीजन एलाइजा व एनएस टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर ही डेंगू मरीज की पुष्टि होती है और यह केवल स्वास्थ्य विभाग ही डिक्लेयर कर सकता है।
डेंगू के लिए उक्त दोनों टेस्ट जिले में केवल सिविल अस्पताल में ही होते हैं। अगर कोई प्राइवेट अस्पताल व लैब संचालक किसी माध्यम से किसी मरीज का डेंगू टेस्ट करता है और उसमें रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो तुरंत उसे इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग को रिपोर्ट भेजनी होती है। मरीज का सैंपल या मरीज को सिविल अस्पताल में टेस्ट के लिए भेजना होता है। सोमवार को किसी भी प्राइवेट अस्पताल के चिकित्सक ने लड़की के स्वास्थ्य के संबंध में स्वास्थ्य विभाग को किसी तरह की जानकारी, डेंगू संैपल, रिपोर्ट या मरीज को नहीं भेजा गया।
पिता बोले- कहीं और ले जाते तो बच जाती जान
मृतक लड़की के पिता फतेह सिंह ने बताया कि चिकित्सक ने उन्हें धोखे में रखा और उपचार में लापरवाही बरती। दो दिन पहले चिकित्सक ने उसे बताया था कि लड़की को डेंगू है, लेकिन बार-बार पूछने पर यही बताया गया कि लड़की ठीक हो जाएगी।
अगर चिकित्सक समय रहते मरीज को रेफर करते तो उसकी बेटी की जान बचाई जा सकती थी। एक सप्ताह पहले तक उसकी बेटी को कोई बीमारी नहीं थी और घर पर हंसती खेलती हुई थी। चिकित्सक ने उपचार में घोर लापरवाही बरती, इससे उसकी उसकी बेटी की जान गई है।
ये बोलीं नोडल ऑफिसर
नोडल ऑफिसर डॉ. संध्या गुप्ता ने बताया कि उन्हें सूचना मिली कि एक 17 वर्षीय लड़की की डेंगू से मौत हुई है, लेकिन उनके पास किसी भी प्राइवेट अस्पताल की तरफ से इस संबंध में कोई रिपोर्ट व सूचना नहीं मिली है। लड़की किस प्राइवेट अस्पताल में भर्ती थी और क्या बीमारी थी, इसकी भी स्वास्थ्य विभाग को कोई सूचना नहीं है। डेंगू के अलावा बुखार, कोरोना समेत अनेक ऐसी बीमारियां होती हैं, जिनमें मरीज की प्लेटलेट्स कम हो जाती है।
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from KAPS Krishna Pandit
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