100 घंटे से उफान पर चल रही मारकंडा : जलस्तर बढ़कर 10124 क्यूसिक, कई गांवों के लोग चिंतित
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100 घंटे से उफान पर चल रही मारकंडा : जलस्तर बढ़कर 10124 क्यूसिक, कई गांवों के लोग चिंतित

लगातार 100 घंटे से भी अधिक समय बीत जाने के बावजूद झांसा एरिया में मारकंडा नदी पूरे उफान पर है। शुक्रवार को जलस्तर बढ़कर 10124 क्यूसिक तक पहुंच गया। जलस्तर बढ़ने से कठवा व तंगौर व मुगलमाजरा गांवों में जहां पानी रिहायशी एरिया तक पहुंच गया है। इससे इन गांवों का संपर्क दूसरे क्षेत्रों से कट गया है। वहीं कई गांवों के खेतों में पानी भर गया है। मारकंडा की समय रहते सफाई न होने से यह हालत बने हैं। वहीं तंगौर व कठवा हर साल बाढ़ का दंश झेलते हैं। कठवा के निकट बंध बनाने से ही इन गांवों को बाढ़ से मुक्ति मिल सकती है। अब विधायक रामकरण काला ने भरोसा दिया है कि कठवा के नजदीक बांध बनवाया जाएगा। जलस्तर बढ़ने से मारकंडा के लगते गांवों के ग्रामीणों व प्रशासन की नींद उड़ी हुई है।

कैचमेंट में हैं ये गांव, तो झेलते बाढ़ : झांसा एरिया में मारकंडा नदी के दोनों और डेढ़ से दो किमी की दूरी पर सिंचाई विभाग की ओर से बंध बनाए हैं। ताकि नदी के साथ लगते क्षेत्रों आबादी को पानी से बचाया जा सके, लेकिन गांव कठवा, मुगल माजरा, तंगौर, झरौली खुर्द, आदि गांव कैचमेंट एरिया के अंतर्गत पड़ते हैं। जबकि मुगल माजरा व कठवा के चारों ओर रिंग बांध बनाया हैं। ताकि गांव की आबादी क्षेत्र में पानी न घुस सके, लेकिन गांव तंगौर में रिंग नहीं बनाया। क्योंकि वहां पर सीधे तौर पर नदी का पानी अपना प्रभाव नहीं डालता।

कठवा के नजदीक से बनाए रास्ते व उसके साथ लगते किसानों की जमीन पर हर साल पानी आता है। यहां पर नदी का बांध नहीं है। किसानों द्वारा चोरी छिपे हर बार मिट्टी बेची जाती है। पानी आने पर रेत व मिट्टी से लेवल समतल हो जाता है। खनन विभाग की ओर से ही मिट्टी उठाने के लिए परमिट जारी किया जाता है। इसमें तकरीबन 1 से 3 फुट गहरे तक उठाए जाने का नियम है, लेकिन खेतों से 8 से 10 फुट से अधिक भी मिट्टी उठाई जाती है। इससे कुछ किसानों को कमाई होती है। यही वजह है कि किसान यहां बंध नहीं बनने देना चाहते।

बंध के बीच है कैचमेंट एरिया : नदी के बांधों के बीच के एरिया को सिंचाई विभाग कैचमेंट एरिया मानता है। इसमें नदी का पानी ओवरफ्लो होने के बावजूद बड़े भूभाग में फैल जाता है। इसके चलते उक्त गांव का हर बार पानी का दंश झेलते हैं। दामली, कलसाना, झरौली खुर्द, कठवा, मुगल माजरा, तंगौर, मलिकपुर, मदनपुर, बीबीपुर, अजराना खुर्द, झांसा, खंजरपुर, रोहटी, नैसी, मडाडो, जलबेहड़ा व ठसका मीरांजी गांव की फसल हर बार नदी की चपेट में आती है।

सिंचाई विभाग के अधिकारियों का तर्क-बंध बने तो दूर हो समस्या

सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि गांव कठवा, मुगल माजरा झरौली खुर्द की आबादी एरिया को पानी से बचाने का एकमात्र जरिया गांव कठवा के साथ बंध बनाना है। जब तक बंध नहीं बनता, तब तक नदी का पानी इन सभी गांवों को अपनी चपेट में लेता रहेगा। विभाग की ओर से कई बार गांव कठवा के साथ बंध बनाने का प्रपोजल भेजा गया, लेकिन लोग जमीन देने को राजी नहीं हुए, हालांकि अब विधायक रामकरण काला ने कहा है कि जल्द ही यहां बंध बनवाने के प्रयास शुरु होंगे । इसे लेकर कठवा वासियों से बातचीत कर रहे हैं।

5000 एकड़ से ज्यादा फसल है डूबी: झांसा क्षेत्र की लगभग 1000 एकड़, ठसका मीरांजी की 200 एकड़, तंगौर की 400 एकड़, मुगल माजरा में 100 एकड़, कलसाना में 400 एकड़, अजराना खुर्द की 700 एकड़, रोहटी, जलबेहड़ा, नैसी, मडाडो गांव की 2700 एकड़ समेत पांच हजार एकड़ से ज्यादा जमीन डूब में आती है।



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झांसा | मारकंडा में छठे दिन भी बढ़ा जलस्तर।


from KAPS Krishna Pandit
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