पंजाब और हरियाणा के बीच विधानसभा भवन की हिस्सेदारी का मामला पंजाब के राज्यपाल एवं चंडीगढ़ प्रशासक वीपी बदनौर के पास पहुंच गया है। हरियाणा विधानसभा स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता ने मंगलवार को वीडियो कान्फ्रेंस के जरिए चंडीगढ़ प्रशासक के सामने पूरा मामला रखा।
स्पीकर ने बताया कि प्रशासक बदनौर ने आश्वासन दिया है कि इस मामले के लिए हरियाणा विधानसभा, पंजाब विधानसभा और चंडीगढ़ प्रशासन के मुख्य अभियंता की एक कमेटी बनाई जाएगी। जो एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट देनी होगी। गुप्ता का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि राज्यपाल इस मसले का हल जरूर निकाल लेंगे।
बता दें कि 1966 में विधानसभा भवन में पंजाब को 60 और हरियाणा को 40 फीसदी हिस्सा मिलना तय हुआ। परंतु हरियाणा को अभी तक 27 फीसदी हिस्सा ही मिल पाया। इसे लेकर स्पीकर गुप्ता ने पंजाब विधानसभा स्पीकर राणा केपी से मुलाकात भी की भी। लेकिन इसके बाद अधिकारियों की कोई बात नहीं हुई। पिछले दिनों राणा का बयान आया था कि उनके पास ज्यादा जगह नहीं है। इसलिए हरियाणा को और हिस्सेदारी नहीं दे सकते।
यह है पूरा मामला : विधान भवन में कुल 66 हजार 430 वर्ग क्षेत्र है। 1966 में हरियाणा के अलग होने के बाद उसमें 30 हजार 890 वर्ग फुट क्षेत्र पंजाब विधान सभा सचिवालय के लिए, 10 हजार 910 वर्ग फुट क्षेत्र पंजाब विधान परिषद के लिए और24 हजार 630 वर्ग फुट क्षेत्र हरियाणा विधानसभा सचिवालय के लिए निर्धारित हुआ था। अब पंजाब में विधानसभा परिषद नहीं है। उसके बावजूद दोनों सदनों का स्थान पंजाब विधानसभा सचिवालय ही प्रयोग कर रहा है।
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