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आखिरकार 72 दिन के बाद हिसार रेलवे स्टेशन से गोरखधाम एक्सप्रेस 500 यात्रियों को लेकर गोरखपुर के लिए रवाना हुई। इस दौरान रेलवे स्टेशन पर आरपीएफ-जीआरपी व पुलिस के 50 से अधिक जवान भी तैनात रहे। ट्रेन में बैठे यात्रियों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
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गोरखपुर से गोरखधाम एक्सप्रेस निर्धारित समय पर सुबह 10:15 बजे 0 यात्रियों को लेकर हिसार रेलवे स्टेशन पर पहुंची। गोरखपुर जाने के लिए यात्री रेलवे स्टेशन पर पहुंचने शुरू हो गए। मेन गेट पर रेलवे अस्पताल के डॉ. धीरज कुमार एवं अन्य की टीम ने यात्रियों की स्क्रीनिंग की। इसके बाद ही प्रवेश करने दिया। यात्रियों के सामान को भी सेनेटाइज कराया गया। हिसार से गाड़ी नंबर 02556 गोरखपुर के लिए शाम 4:15 पर रवाना हुई। जिसमें डिस्टेंस के साथ करीब 500 यात्रियों को बैठाया गया। स्टेशन अधीक्षक केएल चौधरी के अलावा तहसीलदार डीडीपीओ आरपीएफ थाना प्रभारी, जीआरपी थाना प्रभारी बीरबल कुमार, थाना प्रभारी प्रदीप कुमार यादव, रिजर्वेशन सुपरवाइजर पुरुषोत्तम कुमार आदि भी मौजूद रहे।
लॉकडाउन में फंसे प्रवासियों ने झेली परेशानी अब घर लौट रहे, पढ़िए... उन्हीं की जुबानी
बहन से मिलने आए थे, लेकिन दो महीनों से मां के पास नहीं लौट सका :यात्रियों का कहना था कि करीब तीन माह बाद अपने घर जा रहे हैं। अब उन्हें परिवार के साथ भी समय बिताने का मौका मिलेगा। इसके लिए सभी ने रेलवे व प्रशासनिक अधिकारियों को भी धन्यवाद किया। दिल्ली निवासी जीवन ने बताया कि लॉकडाउन से 3 दिन पहले वह अपनी बहन से मिलने आया था लेकिन लाॅकडाउन के कारण घर पर मां के पास नहीं जा सका।
मां की अर्थी को नहीं दे पाया कंधा व्हाट्सएप पर भाई ने भेजी थी फोटो :लखनऊ के सत्यपाल सिंह ने बताया कि वह पिछले 19 साल से हिसार में धागा मिल में काम कर रहे हैं। साल में दो-तीन बार गांव जाते थे, लेकिन कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन की वजह से इस बार घर नहीं लौट सके। यही नहीं उन्होंने बताया कि 26 मई को उनकी माता का देहांत हो गया था घर न जाने की वजह से वह अपनी माता को कंधा भी नहीं दे सका। जिसका सारी उम्र अफसोस रहेगा।
आंख का इलाज कराने आए थे, लॉकडाउन में फंसे, अब लौट रहे :दिल्ली के रामदेव पंडित ने बताया कि वह लाॅकडाउन से 2 दिन पहले हिसार के निजी अस्पताल में आंख के इलाज के लिए आए थे। लेकिन लाॅकडाउन की वजह से घर लौटी नहीं सके। यह 70 दिन उनके लिए जिंदगी के सबसे कठिन दिन रहे। अब ट्रेन चली तो उनकी घर वापसी हो सकी।
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