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जिले में शनिवार को लोखों की संख्या में टीड्डी दल ने खेतों में हमला कर दिया। किसानों की मेहनत व जिला प्रशासन की जागरूकता के चलते जिले में टिड्डियों से होने वाले बड़े नुकसान को बचा लिया। तेज हवा का रुख भी राहत भरा रहा। इसके कारण टिड्डी दल का रुख अपने आप ही जिले से गुरुग्राम की ओर मुड़ गया। और टिड्डी दल इस प्रकार से पूरे जिले में प्रवेश नहीं कर पाया। टिड्डी दल की चौड़ाई 6 किलोमीटर और लंबाई 10 किलोमीटर के करीब थी। 5 घंटे में ही शहर से बाहर कर दिया था।
जिले के किसानों ने काफी संख्या में ज्वार बाजरा मक्का व दालों की फसलें लगाई हुई थी यदि टिड्डी दल का हमला होता तब यह पूरी तरह से तबाह हो जाती है। सुबह 6:15 बजे से किसानों ने टिडि्डयों को अपने खेतों से उड़ाना शुरू किया। यह अलग-अलग प्रकार की आवाजों से एक खेत से निकलकर दूसरे खेत पर बैठती रही, लेकिन किसानों की अधिकता के कारण यह टिक नहीं पाई और इस प्रकार से 2 घंटे तक काफी मशक्कत चलती रही। टिड्डी दल के आगमन की रेवाड़ी जिले से मिली सूचना के आधार पर डीसी जितेंद्र कुमार की अगुवाई में झज्जर प्रशासन तुरंत एक्टिव हुआ। रात को कैंप कार्यालय में आपात बैठक बुलाकर डीसी ने संबंधित खंडों के सरपंचों से सामंजस्य बनाते हुए मुनादी करवाई। परिणाम स्वरूप दिन निकलने के साथ ही ग्रामीण अपने खेतों में मौजूद रहे। वहीं कृषि विभाग सहित जिले के नोडल अधिकारियों की टीम शनिवार दोपहर तक क्षेत्र में एक्टिव दिखाई दी। डीसी ने शनिवार को टिड्डी दल से बचाव के प्रबंधों बारे विस्तार से जानकारी सांझा की।
किसानों के सहयोगसे हुआ बचाव
डीसी जितेंद्र कुमार ने कहा कि प्रशासन द्वारा किसानों के साथ तालमेल स्थापित करते हुए समय पर उठाए गए कदमों के फलस्वरूप टिड्डी दल से जिला में फसलों का बचाव हुआ है। देर रात से टिड्डी दल से निपटने के लिए बचाव कार्य शुरू कर दिए गए थे और शनिवार दोपहर पूर्व तक जिला से टिड्डी दल गुरूग्राम जिला की ओर निकल गया। ऐसे में जिला झज्जर की सीमा में अभी तक टिड्डी दल से कोई अधिक नुकसान किसानों की फसलों को नहीं हुआ है। कृषि विभाग की टीम अभी स्थिति का आंकलन कर रही है।
जाटूसाना ब्लाक से जिले में हुआ टिड्डी दल का प्रवेश
डीसी ने बताया कि देर शाम उन्हें सूचना मिली कि रेवाड़ी जिला में टिड्डी दल रात को जाटूसाना ब्लाॅक में है। ऐसे में जिले में उक्त टिड्डी दल के प्रवेश करने की प्रबल संभावनाएं हैं। देर रात ही उन्होंने पूरी योजनाबद्ध तरीके से कदम उठाए और जिले की सीमा में संबंधित एसडीएम की देखरेख में कृषि विभाग के अधिकारियों सहित नोडल अधिकारी नियुक्त किए, जो देर रात ही अपने निर्धारित क्षेत्र की मॉनिटरिंग के लिए रवाना किए गए। शनिवार को सुबह जाटूसाना ब्लाक के बेरली गांव से जिले में टिड्डी दल ने प्रवेश किया और उसके बाद गांव तूंबाहेड़ी, बाबेपुर, छप्पार, खुड्डन, माछरौली, भटेड़ा, अमादलपुर, जाहिदपुर, दादरी तोए, याकूबपुर से सौंधी व बाडसा होते हुए गुरुग्राम जिले में प्रवेश कर गई।
एडवाइजरी मुताबिक उठे कदम
डीसी ने बताया कि झज्जर जिला में जिला प्रशासन ने एडवाइजरी भी जारी कर दी थी। इसके मुताबिक शनिवार को झज्जर जिला में टिड्डी के प्रकोप की स्थिति में खेतों में टिन के डिब्बों, थालियों व ढोल बजाकर शोर किया गया जिससे कि टिड्डी झज्जर जिला के खेतों में ज्यादा इक नहीं हो पाई। कृषि विभाग के आंकलन मुताबिक जिला में तूंबाहेड़ी, छप्पार व जाहिदपुर गांव के खेतों में आंशिक ठहराव हुआ जिसके चलते मौके पर ही प्रशासन टीम द्वारा स्प्रे करते हुए टिड्डियों को दूर भगाया गया।
25 साल पहले सिरसा पहुंचा था टिड्डी दल
कृषि विभाग के अधिकारियों की मानें तो टिड्डी दल अब तक झज्जर जिले में नहीं आया था। करीब 25 साल पहले वर्ष 1995 में सिरसा तक ही टिड्डी दल आसमान में उड़ता रहा। उस समय भी किसानों ने इनको भगाने के लिए प्रशासन के साथ अपने स्तर पर भी हर कदम उठाए थे। बहादुरगढ़ उपमंडल कृषि अधिकारी डाॅ. सुनील कौशिक ने बताया कि इस बार यह टिड्डी दल रेवाड़ी से होते हुए झज्जर जिले तक पहुंचा। बाढ़सा से होते हुए तेज हवा के रुख के साथ गुरुग्राम की तरफ निकल गया। जिले में यह टिड्डी दल कहीं पर भी नहीं बैठ पाया।
बाढ़सा एम्स के खिड़कियां व दरवाजे करवाए बंद
बाढ़सा एम्स-2 में इन दिनों दिल्ली समेत अन्य प्रदेशों के कोरोना संक्रमित केसों का इलाज चल रहा है। कोविड-19 अस्पताल बना है। यहां वेंटीलेंशन के लिए खिड़कियां व दरवाजे खुले हुए थे। जैसे ही प्रशासन को झज्जर से बाढ़सा की तरफ टिड्डी दल बढ़ने की सूचना मिली। तभी पूरे एम्स सहित नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट के शीशे के दरवाजे व खिड़कियां बंद करवा दिए। बताया गया कि एक-दो खिड़कियों से कोरिडोर में कुछ टिड्डियां प्रवेश कर गई। तभी वहां मौजूद सुरक्षा कर्मियों ने सायरन व स्प्रे की मदद से उन्हें भगाकर खिड़की व दरवाजे बंद कर दिए।
क्या कहना है किसानों का
किसान जसबीर ने बताया कि टिड्डियों से फसलों को बचाने में सबसे बड़ी भूमिका किसानों की रही है। प्रशासन की ओर से दी गई सूचना पर सभी छोटे-बड़े किसान अलर्ट थे और सभी ने काफी दौड़ दौड़ कर भगाने का काम किया।
सुरहती में एयर गन का किया इस्तेमाल : सुरेहती गांव के कृष्ण देसवाल ने बताया कि टिड्डी दल का सुरती गांव की ओर अधिक असर नहीं रहा लेकिन इसके बाद किसान पहले से ही एयर गन लेकर अलर्ट थे। शोर करने के कारण यह टिड्डियां गांव की सिमा से कुछ दूरी से ही निकल गई।
शुक्रवार शाम को ही मंगा ली गई थी क्लोरोपाइरीफॉस कीटनाशक : क्यूसीआई बालमुकुंद कौशिक ने बताया कि टीड्डी दल से निजात करने के लिए जिले में 2000 लीटर क्लोरो पाइरी फोर्स नामक कीटनाशक दवा को मंगा लिया गया था। 2 प्वाइंट 5 एमएम कीटनाशक को 1 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करने की योजना थी। आज से दिन में लगातार उड़ते जाने के कारण इन पर स्प्रे करने की कार्रवाई करने का मौका नहीं मिल सका।
टीड्डी के हमले के अध्ययन के लिए उनके विभाग की टीम शुक्रवार शाम को ही रेवाड़ी क्षेत्र में तैनात थी। इस टीम ने रात 10 बजे वहां पहुंचकर इनके बारे में अध्ययन किया। टीडी जहां किसी पेड़ पर बैठती थी तब वहां के भारी-भरकम टहनी को भी तोड़ दे रही थी। वहां स्प्रे के माध्यम से इनको मारने का प्रयास हुआ लेकिन यह पूरी तरह से कारगर नहीं रहा। लेकिन जैसे ही यह सीमा में प्रवेश हुई इनको किसी एक स्थान पर लोगों ने बैठने ही नहीं दिया। जिसके कारण लाखों की फसलों का नुकसान बच गया।
-इंद्र सिंह, डिप्टी डायरेक्टर कृषि विभाग
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