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कोरोना योद्धा चिकित्सक संकट के इस समय में अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरों की जान बचाने में दिन-रात जुटे हुए हैं। अमूमन वातानुकूलित कमरे में बैठकर मरीजों का उपचार करने वाले चिकित्सक कोरोना किट में पसीने पसीने होकर कोरोना संक्रमितों के उपचार में लगे हुए हैं। जिले में कोरोना योद्धा चार चिकित्सक समेत 9 स्वास्थ कर्मी अभी तक संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से दो चिकित्सक कोरोना पर जीत हासिल कर वापस ड्यूटी पर लौट आए हैं, जबकि दो आइसोलेशन में हैं।
तोशाम सिविल अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक ईशान सिंह चार जून को भिवानी सिविल अस्पताल के आपातकालीन विभाग में संक्रमित वार्ड सर्वेंट के कांटेक्ट में आने से संक्रमित हुए। 11 दिन तक सिविल अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती रहे और कोरोना को हराकर 19 जून को वापस ड्यूटी पर लौटे। चिकित्सक अब तोशाम के सिविल अस्पताल में पहले से भी दोगुणा जोश के साथ अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
20-30 बार वीडियो कॉल से परिवार से संवाद कर रहे तनावमुक्त
तोशाम सिविल अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक ईशान सिंह 4 जून को भिवानी सिविल अस्पताल के आपातकालीन विभाग में संक्रमित वार्ड सर्वेंट के कांटेक्ट में आने से संक्रमित हुए। 11 दिन तक सिविल अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती रहे और कोरोना को हराकर 19 जून को वापस ड्यूटी पर लौटे। डॉ. ईशान सिंह के परिवार के सभी सदस्य उनकी बीमारी को लेकर बेहद चिंतित थे।
हर रोज माता-पिता, पत्नी, बच्चे और परिवार के अन्य सदस्य 20 से 30 बार वीडियो कॉल से उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछते रहे। कभी-कभी परिवार के सदस्यों से न मिलने पर देर रात तक नींद नहीं आती थी, लेकिन परिवार के सदस्यों ने उनका हौसला बढ़ाया और सभी के सहयोग व स्वास्थ्य कर्मियों की मेहनत से उन्होंने 11 दिन में कोरोना पर जीत हासिल की। 14 दिन तक परिवार से सोशल दूरी बनाए रखी और फिर अपनी ड्यूटी में जुट गए।
उन्होंने कहा कि कोरोना से स्वस्थ्य होने के लिए जितनी मल्टी विटामिन दवाओं, हैवी प्रोटीन युक्त भोजन व हरी सब्जियों के सेवन के जरूरत होती है उसी तरह से कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सोशल दूरी, मास्क व सैनिटाइजर के उपयोग की पालना भी सभी के लिए आवश्यक है।
कोरोना के साथ जंग में मिला परिवार का सबसे अधिक सहयोग
चांग| चांग पीएचसी में तैनात महिला दंत चिकित्सक डाॅ. नीतू सांघी कोविड ड्यूटी के दौरान 6 जून को कोरोना वायरस से संक्रमित हो गईं थीं। उन्होंने कोविड वार्ड में आइसोलेट होने के बजाय खुद को होम आइसोलेट किया। आइसोलेट होने के बाद भी फोन कॉल से स्टॉफ की चिकित्सा संबंधी मदद करती रहीं। एक सप्ताह में काेरोना से जंग जीतने के बाद 13 जून से 14 दिन तक हाेम क्वारंटाइन टाइम पूरा करने के बाद दाेबारा ड्यूटी पर लाैटीं।
यही नहीं इस बार वे पहले से भी ज्यादा जाेश के साथ अपना काम कर रही हैं, लेकिन आइसोलेशन और क्वारंटाइन टाइम के दौरान 21 दिन तक वे अपनों के बीच रहते हुए भी अपनों से दूर रहीं। डॉ. नीतू सांघी ने बताया कि परिवार में पति, 18 साल की बेटी व 11 साल का बेटा है। जब से काेरोना ड्यूटी लगी तभी से परिवार से दूरी बना ली थी। घर पर आइसोलेट होने के बाद वह घर में ही रहते हुए परिवार के अन्य सदस्यों से वीडियो कॉल के माध्यम से बातचीत करती थी।
वे चाह कर भी बच्चों से नहीं मिल पाती थीं। कोरोना के साथ जंग में परिवार के सदस्यों का सबसे अधिक सहयोग मिला। उन्होंने कहा कि कोरोना से जंग जीतने के लिए शारीरिक व मानसिक मजबूती जरूरी है।
1000 से ज्यादा कर्मी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से लड़ रहे कोरोना से जंग
जिले में एक हजार से अधिक संख्या में चिकित्सक व अन्य स्वास्थ्य कर्मी कोरोना के साथ इस लड़ाई में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जो हर समय कोरोना के साये में रहते हैं। इसके बावजूद वे पूरी ईमानदारी व साहस के साथ नगरवासियों को कोरोना संक्रमण से बचाव के प्रयास में लगे हुए हैं। जिले में अभी तक चार चिकित्सकों समेत 9 स्वास्थ्य कर्मी कोरोना की चपेट में आ चुके हैं। इनमें दो चिकित्सक समेत तीन कर्मचारी स्वस्थ हो चुके हैं और शेष आइसोलेट हैं।
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