चोरी की लग्जरी गाड़ियों की फर्जी आरसी बनवाकर बेचने के मामले में गुरुग्राम एसटीएफ ने बड़ा खुलासा किया है। चोरी की गाड़ियों की जो आरसी बनती थी वह जिनकी आईडी पर बनवाई जाती थी उन्हें यह तक पता नहीं है कि उनके नाम से कोई फॉर्च्यूनर या इनोवा भी सड़कों पर दाैड़ रही है। क्योंकि टाइपिस्ट रमेश बामल के पास लाइसेंस या आरसी बनवाने के लिए जो भी शख्स आता था वह उनकी आईडी के फोटो कॉपी रख लेता था। जिन पर यह फर्जी आरसी तैयार कर चोरी की गाड़ियां बेची जाती थी।
एसटीएफ अधिकारी ने बताया कि असली अाेनर के पास यह मामला न पहुंच जाए इससे पहले ही इन गाड़ियों को दूसरे जिलों में ट्रांसफर करवा दिया जाता था। दूसरे जिलों में ट्रांसफर के दौरान चोरी की गाड़ियों का नया अाेनर व नये नंबर मिल जाते थे। ऐसे में उनकी पोल नहीं खुल पाती थी। क्योंकि अगर किसी गाड़ी को पोस्टल चालान कट भी गया तो वह सीधा अाेनर के घर ही पहुंचेगा। जिससे चोरी की गाड़ी का खुलासा होने की संभावना रहती है और इंश्योरेंस से लेकर लोन भी नहीं करवा सकते थे।
गुरुग्राम एसटीएफ इंस्पेक्टर सतीश देशवाल ने बताया कि रैकेट के सदस्य रमेश बामल ने बताया कि उसके संपर्क में कई दलाल हैं। जिनके पास आरसी व ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने वाले आते हैं। उनसे उन लोगों की आईडी की फोटो कॉपी दलाल रमेश बामल को देते थे। जिन पर वह रैकेट सदस्य अमित व रमेश महम से मिलकर चोरी की गाड़ियों की फर्जी आरसी तैयार करवाता था।
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