इस्तीफा देने वाले पार्षदों ने दिया धरना, बोले- एनजीटी के आदेश मानने को हाउस बाध्य नहीं
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इस्तीफा देने वाले पार्षदों ने दिया धरना, बोले- एनजीटी के आदेश मानने को हाउस बाध्य नहीं

शहर में वेस्ट यूजर चार्जिज लगाने को लेकर राजनीति गरमाती जा रही है। कुछ दिन पहले शुल्क लगाने के विरोध में इस्तीफा दे चुके और कुछ पूर्व पार्षद बुधवार को नगर परिषद में धरने पर बैठ गए। पूर्व मंत्री व कांग्रेसी नेता अशोक अरोड़ा ने भी धरने पर पहुंच समर्थन दिया। नारेबाजी कर नगरपरिषद के फैसले का विरोध किया। शुल्क हटाने की मांग की। उधर चेयरपर्सन का कहना है कि हर शहरवासी चार्ज देने को सहमत है। यह फैसला नप का नहीं, बल्कि एनजीटी के आदेश पर यह चार्जिज तय किए हैं।


कोरोना के समय चार्ज लगाना गलत : अरोड़ा पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा ने कहा कि कोरोना के दौरान आम आदमी, दुकानदार, व्यापारी पहले से ही परेशान होकर घरों में बैठे हैं। ऐसे में उनपर यूजर्स चार्जिज लगाना गलत है। हाउस एनजीटी के आदेशों का पालन करने के लिए बाध्य नहीं है। नगरपरिषद के पास आय के अन्य भी कई विकल्प हैं। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर वे और पूरी पार्टी पार्षदों के साथ है। अरोड़ा ने इस मौके पर रजिस्ट्री का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि बिना डीटीपी की एनओसी के ही तहसील में रजिस्ट्री पास की जा रही हैं। इसकी जांच होनी चाहिए।

इन वार्डों के पार्षदों ने जताया रोष
वार्ड-3 के पार्षद प्रतिनिधि एवं पूर्व पार्षद नरेन्द्र शर्मा निंदी, वार्ड नौ से पार्षद प्रतिनिधि एवं रेजिडेंस वेल्फेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष पवन चौधरी, वार्ड 14 के पार्षद अमित गर्ग शैंकी, वार्ड-16 के पार्षद प्रतिनिधि एवं पूर्व पार्षद सतीश गर्ग, वार्ड 23 के पार्षद कृष्ण कुमार गुप्ता, वार्ड 25 के पार्षद नरेन्द्र वर्मा, वार्ड 26, 27 के पार्षद नवनीत और संदीप टेका, वार्ड 29 के पार्षद प्रतिनिधि विवेक मैहता, पूर्व पार्षद मन्नू जैन, निश्चलदीप, दीपक सिंगला, ओम प्रकाश ओपी, नरेन्द्र चौहान, महेन्द्रपाल, जेके जैन, सौरभ गर्ग, महेन्द्र बवेजा, सुधीर चुघ, दीपक गिल, विवेक भारद्वाज डब्बू धरने पर बैठे। बता दें कि दस पार्षद इसके विरोध में इस्तीफा भी दे चुके हैं। इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ। नप आलाधिकारियों का कहना है कि उनके पास इस्तीफा नहीं पहुंचा।

बैठक में पास कराना चाहिए था : गुप्ता
केके गुप्ता ने कहा कि यदि ये निर्णय एनजीटी के आदेशानुसार लिया है तो भी इस निर्णय को हाउस की बैठक में पास कराना चाहिए था, लेकिन बिना पार्षदों की सहमति के इसे लागू कर दिया। उन्होंने कहा कि विधायक व चेयरपर्सन ने भी हाउस की बजाए पार्षद की बाहर मीटिंग लेकर उनकी सहमति ली। आरोप लगाया कि लोगों से अप्रैल व मई का शुल्क वसूला जा रहा है। शैंकी, संदीप टेका व नरेंद्र शर्मा निंदी ने कहा कि जब तक चार्ज नहीं हटाए जाते, तब तक उन लोगों का आंदोलन जारी रहेगा।

शहर राजी, जानबूझकर हो रही राजनीति : विधायक
चेयरपर्सन उमा सुधा का कहना है कि जिला प्रशासन ने एनजीटी के आदेश पर यह फैसला लागू किया है। शहरवासियों ने कोई ऐतराज नहीं जताया। जो पार्षद विरोध कर रहे हैं, उनके वार्डों के लोगों ने भी शुल्क जमा कराया है। उन्होंने कहा कि एनजीटी व प्रशासन स्पष्ट कर चुका है कि जहां वेस्ट यूजर चार्जिज नहीं दिए जा रहे, वहां टिप्पर सुविधा नहीं दी जाएगी। कुछ पार्षद राजनीति के चलते विरोध कर रहे हैं। थानेसर नप ने इस फैसले को सबसे बाद में लागू किया।

नप के पास चार दिन में पहुंची साढ़े पांच लाख की राशि
पिछले चार दिनों में साढ़े पांच लाख से ज्यादा शुल्क इसके तहत नप के पास जमा हो चुका है। नप ईओ बीएन भारती के मुताबिक चार दिनों में पांच लाख से ज्यादा शुल्क जमा हो चुका है।



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Councilors resigning, protest, said - House is not compelled to obey NGT order


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