किसी ने पिता का सपना पूरा करने के लिए दौड़ में बनाया कॅरिअर तो कोई 80 की एज में नई जेनरेशन को कर रहा मोटिवेट
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किसी ने पिता का सपना पूरा करने के लिए दौड़ में बनाया कॅरिअर तो कोई 80 की एज में नई जेनरेशन को कर रहा मोटिवेट

(अंशुल पांडेय) जिंदगी की दौड़ में यूं तो सभी शामिल हैं ही मगर वो कुछ अलग चेहरे होते हैं तो जिंदगी की दौड़ में खुद के लिए दौड़ना शुरू करते हैं और इससे अपनी एक अलग पहचान बना पाते हैं। आज ग्लोबल रनिंग डे है, यानी एक ऐसा दिन है जो दौड़ने के खेल का जश्न मनाता है।

यह प्रतिवर्ष जून के पहले बुधवार को मनाया जाता है। ऐसे में हमने शहर के कुछ ऐसे लोगों से बात की जिन्होंने दौड़ को अपने कॅरिअर के रूप में चुना और दौड़-दौड़ कर ही लोगों के जेहन में अपनी एक अलग पहचान बनाई है।

मनजीत जागलान: 10वीं में पहली बार जीता मेडल तो चमक उठी थी पिता की आंखें

सीनियर नेशनल में गोल्ड मेडल अपने नाम करने वाले मनजीत जागलान ने बताया कि जब मैं छोटा था तो जब भी मैं दौड़ता तो मेरे पिता की आंखों में मुझे एक अलग चमक दिखती थी। इसके बाद 10वीं में दौड़ में मैंने डिस्ट्रिक लेवल का मेडल जीता, उस समय मेरे पिता ने कहा कि मैं चाहता हूं कि दौड़ में मेरे बेटे से आगे कोई न निकले। मगर इसके बाद मनजीत के पिता का देहांत हो गया और मनजीत ने मन में यह ठान ली कि वो अपने पिता का सपना जरूर पूरा करेंगे। इसके बाद मनजीत ने सबसे पहले जूनियर में सिल्वर मेडल अपने नाम किया और धीरे-धीरे सीनियर नेशनल का गोल्ड अपने नाम करने में सफल रहे।

सुंदर सिंह और हरप्यारी: 80 साल की उम्र में दौड़ लगाकर कई नेशनल रिकॉर्ड किए अपने नाम

जिंदगी के 80 बसंत देख चुके सुंदर सिंह और हरप्यारी एक ऐसे दंपति हैं। इस उम्र में दौड़ में भाग लेकर इन दोनों पति-पत्नी ने कई तरह के रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं। अब तक सुंदर सिंह मास्टर्स एथलीट मीट में करीब 160 नेशनल और स्टेट पदक जीत चुके हैं। वहीं उनकी पत्नी हरप्यारी ने भी करीब 100 नेशनल और स्टेट चैम्पियनशिप अपने नाम की है। दोनों के अंदर दौड़ को लेकर जुनून इस कदर है कि सुबह 4 बजे से करीब 10 से 12 किलोमीटर की वॉक करते हैं, जिससे दौड़ में भाग लेने के लिए फिट और फाइन बने रहे। इन दोनों बुजुर्ग का यह जज्बा युवा पीढ़ी को मोटिवेट करने का काम कर रहा है।

विकास श्योकंद: हर खेल का बना हिस्सा, मगर असली मजा दौड़ने में ही आता था

विकास श्योकंद ने बताया कि खेलों में उनकी रुचि बचपन से थी। फिर चाहे वो फुटबॉल हो, क्रिकेट हो या बैडमिंटन हर खेल में उन्होंने हाथ अजमाया। मगर जब कभी भी रेस में पार्टिसिपेट करते, एक अलग ही खुशी का अनुभव होता। यहीं से उन्हें एहसास हो चला कि उन्हें रनिंग को ही बतौर कॅरिअर चुनना चाहिए। विकास ने स्टेट गोल्ड मेडल तो अपने नाम किया ही इसके साथ ही नेशनल ब्रांच मेडल भी जीता। विकास ने बताया कि कई बार बहुत से लोगों ने उनके उत्साह को तोड़ने का काम किया मगर परिवार के लोगों का साथ हमेशा रहे, जिसकी वजह से वो अपने लक्ष्य तक पहुंच पाए।

अमन वर्मा, जिम ट्रेनर: लाइफस्टाइल में रनिंग को करें शामिल और रहें फिट

1. कैलोरी बर्न करता है: चलने की तुलना में दौड़ने से कैलोरी ज्यादा बर्न होती है, क्योंकि यह बेहतर तरीके से बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) पर काम करता है।
2. कोलेस्ट्रॉल कम करता है: दौड़ना आपके शरीर में एक स्वस्थ कोलेस्ट्रॉल स्तर को बनाए रखने में मदद करता है और इसके साथ जुड़े विभिन्न समस्याओं के खतरे को कम करता है।
3. एरोबिक व्यायाम: नियमित रूप से दौड़ना एरोबिक व्यायाम का एक रूप भी है, यह आपका मूड अच्छा करने में मदद करता है।
4. हड्डियों को मजबूत करता है: नियमित रूप से दौड़ लगाने से हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत बनती हैं। इससे हड्डियों संबंधित बीमा‍रियों जैसे ऑस्टियोपोरोसिस और अर्थराइटिस होने का खतरा काफी कम हो जाता है।
5. दिल बनाये मजबूत: रनिंग से हमारे शरीर में रक्त प्रवाह सुधरता है, इससे हमारे दिल की सेहत पर अच्छा असर पड़ता है। इसके साथ ही दौड़ने से रक्‍तचाप भी कम होता है जिससे हृदय संबंधी कई रोग होने का संभावित खतरा भी कम हो जाता है।



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Someone made a career in the race to fulfill his father's dream, while someone was motivating the new generation in the 80's age


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