20 साल खुले आसमान तले वकालत कर रोष जताने वाले ओमप्रकाश मलिक नहीं रहे
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20 साल खुले आसमान तले वकालत कर रोष जताने वाले ओमप्रकाश मलिक नहीं रहे

एडवोकेट ओम प्रकाश मलिक, उनकी पहचान 3 बातों से थी। बिना चेंबर वाला, भूने चने खिलाने वाला और सभी जूनियर्स को बेटा कहकर बुलाने वाला वकील। नाम के साथ ही लिखते थे गांधीवादी ओमप्रकाश मलिक। गांधी की तरह ही सत्याग्रह को हथियार बनाया। मंडल आयोग की सिफारिशों के खिलाफ आंदोलन में प्रदर्शनकारियों ने कैंट कोर्ट बिल्डिंग में आगजनी की थी। जिसके बाद कोर्ट यहां से अम्बाला सिटी शिफ्ट कर दी गई। कोर्ट को वापस अम्बाला कैंट लाने के लिए मलिक ने सत्याग्रह शुरू किया।


शायद ही कोई मंच रहा होगा, जहां कोर्ट वापस लाने और कैंट को उपमंडल का दर्जा दिलाने की मांग न रखी हो। रोष जताने के लिए सिटी कोर्ट परिसर में न चैंबर लिया और न सिर पर छत ली। 20-22 साल तक धूप, बारिश व सर्दी की परवाह किए बिना खुले आसमां के नीचे बैठकर वकालत की। फिर 4-5 साल बीमारी के बावजूद कोर्ट में अकसर दिख जाते थे। उनके पास अकसर भूने चनों का डिब्बा भरा रहता था। हर मिलने वाले के आगे डिब्बा कर देते। खुद गरीबी देखी थी इसलिए अकसर गरीबों व जरूरतमंद लोगों से बिना फीस लिए केस लड़ते थे। जिंदगी के आखिरी कुछ साल बेटी के परिवार के साथ गुजारे। वीरवार को दिल्ली कैंट में बेटी के घर पर 86 की उम्र में आखिरी सांस ली।

विभाजन के वक्त सेना की टुकड़ी के साथ आए थे
1947 में बंटवारे के समय सेना की टुकड़ी के साथ मलिक का परिवार पाकिस्तान से अम्बाला कैंट आया था। यहां रहने का सहारा नहीं था तो कांग्रेस भवन में रहते थे। वहीं से कांग्रेस विचारधारा से जुड़े। 1952 में जवाहरलाल नेहरू अम्बाला कैंट आए तो युवा मलिक काफी उत्साहित थे। उन्होंने उर्दू में एमए और 1968 में एलएलबी की। 1958 में इंडो-पाक मुशायरा करवाया। छावनी बार एसोसिएशन के प्रधान रहे। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संगठन सचिव और कांग्रेस (ओ) के संस्थापक व प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। उनका बेटा विकास मलिक अमेरिका में इंजीनियर है। बेटी प्रगति के पति एक सैन्य अधिकारी हैं जो आजकल नीदरलैंड में तैनात हैं। भतीजा सुनील मलिक एडवोकेट है।
-जैसा मलिक के साथी रहे बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान एडवोकेट सुभाषचंद जायसवाल से बताया।

निधन पर बार व कांग्रेस कमेटी ने जताया दुख
मलिक के निधन पर जिला कांग्रेस कमेटी और जिला बार एसोसिएशन ने गहरा दुख व्यक्त किया है। कांग्रेस नेता एडवोकेट किरण बाला जैन ने कहा कि वह सच्चे गांधीवादी थे। चंडीगढ़ और हिंदी भाषी क्षेत्रों को हरियाणा में शामिल करने के जोरदार समर्थक थे। जिला बार एसोसिएशन के प्रधान रोहित जैन ने कहा कि मलिक ने हमेशा शांतिपूर्ण तरीके से सार्वजनिक मुद्दों को उठाया।



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70 के दशक में मलिक को घर से गिरफ्तार कर ले जाती पुलिस।


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