मुझे पद का लालच नहीं, देश आर्थिक संकट से गुजर रहा था, इसलिए स्वीकार किया पीएम पद : विक्रमसिंघे
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मुझे पद का लालच नहीं, देश आर्थिक संकट से गुजर रहा था, इसलिए स्वीकार किया पीएम पद : विक्रमसिंघे



कोलंबो । श्रीलंका के कार्यवाहक प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों द्वारा उनके निजी आवास को आग लगाए जाने के बाद पहली बार सामने आए और कहा कि केवल हिटलर जैसी मानसिकता वाले लोग ही इमारतों में आग लगा सकते हैं। विक्रमसिंघे (73) ने टेलीविजन पर प्रसारित एक बयान में कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री का पद इसलिए स्वीकार किया, क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था संकट में थी।
उन्होंने कहा कि उन्होंने अर्थव्यवस्था के पुन: निर्माण का कठिन कार्य ऐसे समय में अपने हाथ में लिया, जब लोग ईंधन, खाना पकाने वाली गैस और बिजली के अभाव में मुश्किलों का सामना कर रहे थे। विक्रमसिंघे ने कहा जीवनयापन की लागत अधिक थी, ईंधन नहीं था, विदेशी मुद्रा संकट था। लोगों की नौकरियां जा रही थीं। मैंने लोगों की पीड़ा को देखा। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कहा अर्थव्यवस्था को स्थिर करने में करीब चार साल लगेंगे और पहला साल सबसे मुश्किल भरा होगा।
विक्रमसिंघे ने कहा यह काम एक-दो दिन में नहीं हो सकता। शुरुआती सुधारात्मक कदम उठाने के लिए कम से कम एक वर्ष की आवश्यकता होगी। आईएमएफ ने कहा कि इसमें चार साल लगेंगे। अर्थव्यवस्था के कुप्रबंधन को लेकर सरकार पर बढ़ रहे दबाव के बीच महिंदा राजपक्षे ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद उनके छोटे भाई गोटबाया राजपक्षे ने विक्रमसिंघे को मई में प्रधानमंत्री नियुक्त किया था। विक्रमसिंघे ने उनके आवास पर शनिवार को प्रदर्शनकारियों द्वारा की गई आगजनी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि केवल हिटलर जैसी मानसिकता जैसे लोग ही इमारतों को आग लगाते हैं।
उन्होंने कहा उस रात जो हुआ उसकी पृष्ठभूमि में एक घटना थी। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक मुस्लिम दल के नेता ने ट्वीट करके यह गलत जानकारी दी थी कि उन्होंने सर्वदलीय सरकार के गठन का विरोध किया है और इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है, जिसके कारण उनके आवास पर आगजनी की घटना हुई। विक्रमसिंघे ने इस ट्वीट में दी गई जानकारी को गलत बताते हुए कहा था कि वह सर्वदलीय सरकार के गठन के बाद इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं, लेकिन एक टेलीविजन चैनल ने उनके आवास का घेराव करने के लिए लोगों को भड़काया।
उन्होंने टीवी चैनल ने उनके आवास पर हमले के लिए प्रदर्शनकारियों को नहीं भड़काने की अपील की थी। उन्होंने कहा कि उन्होंने नौ जुलाई को निर्धारित अपनी सभी बैठकों को स्थगित कर दिया था और वे अपने आवास पर ही रहे, लेकिन फिर पुलिस ने कुछ गड़बड़ होने की आशंका के मद्देनजर उन्हें अपने आवास से कहीं और जाने को कहा। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसी कारण वह और उनकी पत्नी शाम को अपने घर से निकल गए थे। विक्रमसिंघे ने कहा उनके पास केवल एक ही घर था, जिसे अब जला दिया गया है। उन्होंने कहा मेरे एकमात्र घर में आग लगा दी गई। मेरे पुस्तकालय में 2,500 किताबें थीं, जो मेरी एकमात्र संपत्ति थीं। इसके अलावा 200 साल से अधिक पुरानी मूल्यवान पेंटिंग थीं। उन सभी को नष्ट कर दिया।
उन्होंने कहा कि उन्होंने और उनकी पत्नी ने अपनी सभी मूल्यवान पुस्तकों को श्रीलंका के एक कॉलेज और एक अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्था को दान करने का फैसला किया था। देश में अप्रत्याशिक आर्थिक संकट को लेकर आक्रोशित प्रदर्शनकारियों का एक समूह शनिवार को यहां कैम्ब्रिज प्लेस स्थित विक्रमसिंघे के निजी आवास में घुस गया था और उसने इसे आग के हवाले कर दिया था।





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