चीतों के स्वागत को कूनो हो रहा तैयार
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चीतों के स्वागत को कूनो हो रहा तैयार


भोपाल । देश में चीता लाए जाने के लिए भारत और नामीबिया सरकार के बीच बुधवार को समझौता होने के बाद कूनो पालपुर नेशनल पार्क में सरगर्मी बढ़ गई है। चीतों को यही रखा जाना है और इसके लिए तैयारियां करीब दो साल से चल रही हैं। चीतों को यहां लाए जाने के बाद करीब एक महीने तक एकांतवास (क्वारंटाइन) रखा जाएगा। इससे चीते आसानी से यहां के वातावरण के अनुसार ढल सकेंगे। निर्धारित क्षेत्र (बाड़े) में रहने से उनकी सुरक्षा और निगरानी भी सुनिश्चित हो सकेगी। चीतों की सुरक्षा के लिए इस क्षेत्र से करीब 70 तेंदुओं को बाहर भी किया गया है। करीब एक महीने तक पर्यटक इन्हें नहीं देख सकेंगे। पहली बैच के चार नर और चार मादा चीतों के लिए समुचित व्यवस्था को अंतिम रूप देने के लिए गुरुवार को कूनो वनमंडल के डीएफओ पीके वर्मा ने पार्क में कर्मचारियों के साथ बैठक भी की। चीतों को रखने के लिए पांच वर्ग किमी क्षेत्र का बाड़ा बनाया गया है। इसके चारों ओर करीब आठ फीट ऊंची चारदीवारी और ऊपरी हिस्से में फेंसिंग की गई है। तीन स्तर की सुरक्षा व्यवस्था भी की गई है। पूरे क्षेत्र को पांच हिस्सों में बांटा गया है। पहले चीतों को छोटे हिस्से में रखा जाएगा और फिर बड़े हिस्से में भेजा जाएगा। बाड़े के चारों तरफ हरे रंग का जालीदार पर्दा लगाया जाएगा। पीके वर्मा के मुताबिक बाड़े में सीसीटीवी कैमरे और ड्रोन से निगरानी की जाएगी। पार्क में छह टावरों पर अच्छी गुणवत्ता के कैमरे लगाए गए हैं। प्रत्येक टावर पर निगरानी के लिए वनकर्मी की ड्यूटी रहेगी। फेंसिंग में हल्का करंट भी प्रवाहित होगा।
कर्मचारियों को दिया गया विशेष प्रशिक्षण
 चीतों के लिए पार्क में भरपूर भोजन भी उपलब्ध रहेगा। यहां हजारों की संख्या में चीतल, सांभर (हिरण की प्रजाति), जंगली सूअर, नीलगाय और खरगोश जैसे वन्य जीव हैं। यहां पर्याप्त मात्रा में मोर भी हैं। चीतों के आराम के लिए बाहर से घास मंगवाकर लगाई गई है। पानी के लिए जगह-जगह ताल-तलैया बनाई गई हैं। कर्मचारियों को भी चीतों को संभालने का विशेष प्रशिक्षण दिया जा चुका है। कूनो पार्क करीब 750 वर्ग किमी में फैला है। एक चीते को 10 से 20 वर्ग किमी का क्षेत्र चाहिए, कूनो उनकी संख्या में बढ़ोतरी के लिए भी उपयुक्त रहेगा। पार्क का ज्यादातर क्षेत्र समतल है और पेड़-पौधे भी घने हैं। पीके वर्मा ने बताया कि इन्हीं विशेषताओं की वजह से भारतीय वन्यजीव संस्थान के विशेषज्ञों ने कूनों को चीतों के रहवास के रूप में उपयुक्त पाया है।





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