हर घर जल योजना को समय रहते पूरा करने में जुटी मोदी सरकार, 25 जुलाई से ‘हर घर जल उत्सव’ कार्यक्रम
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हर घर जल योजना को समय रहते पूरा करने में जुटी मोदी सरकार, 25 जुलाई से ‘हर घर जल उत्सव’ कार्यक्रम

नई दिल्ली । हर घर जल योजना के तहत लंबित काम को पूरा करने के लिए मोदी  सरकार ने 30 सितंबर की तारीख तय की है। साथ ही 25 जुलाई 2022 से ‘हर घर जल उत्सव’ नाम से एक विशेष अभियान की शुरुआत होगी। इस दौरान डेढ़ लाख से ज्यादा उन गांवों को प्रमाणित किया जाएगा जहां ये योजना 100 प्रतिशत लागू करने का दावा किया गया है। मोदी सरकार ने 2024 तक हर ग्रामीण घर में नल के द्वारा पीने के पानी की आपूर्ति को सुनिश्चित करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है। वर्तमान में 51 प्रतिशत लक्ष्य पूरा किया जा चुका है, जबकि अगस्त 2019 में जब ये अभियान शुरू हुआ था, तब ये आंकड़ा 17 प्रतिशत था। अधिकारियों ने बताया कि लंबित कामों को हरी झंडी देना, परियोजनाओं की डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनाना, टेंडर जारी करना और ठेके आवंटित करने के लिए 30 सितंबर तक की डेडलाइन तय की गई है। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि 2024 तक हर घर जल कार्यक्रम को समयबद्ध तरीके से पूरा किया जा सके।
केंद्र की मोदी सरकार इस लेकर उत्साहित है, कि 2022-23 की पहली तिमाही में 38.75 लाख नल कनेक्शन दिए जा चुके हैं, जबकि पिछले साल इसी तिमाही में ये आंकड़ा 35.22 लाख का था। कई राज्यों में मॉनसून की भारी बारिश और भीषण बाढ़ के बावजूद इस काम को पूरा किया गया है। मोदी सरकार को उम्मीद है कि बारिश का मौसम खत्म होते ही काम को फिर से तेजी से शुरू होगा।
केंद्र सरकार ने 25 जुलाई से 12 अगस्त तक हर घर जल उत्सव आयोजित करने का भी फैसला किया है। इस दौरान क़रीब डेढ़ लाख ऐसे गांवों में नल कनेक्शन को प्रमाणित किया जाएगा, जहां ये योजना पूरी तरह लागू करने की बात कही जा रही है। हालांकि इनमें से सिर्फ 11 हजार को ही अब तक प्रमाणित किया जा चुका है। इस अभियान के दौरान हर घर जल प्रमाणीकरण पर जोर दिया जाएगा, खासकर उन राज्यों में जहां ये योजना बड़े स्तर पर लागू हुई है। इन राज्यों में गोवा, तेलंगाना, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, गुजरात, बिहार और मणिपुर शामिल हैं।केंद्र सरकार प्रमाणीकरण के काम में ढिलाई को लेकर नाखुश है, इसकारण इस अभियान की शुरुआत की गई है। केंद्र राज्यों पर पाइपलाइन बिछाने से पहले पर्यावरण व रेलवे मंत्रालय, नेशनल हाइवे अथॉरिटी और गेल जैसी केंद्रीय एजेंसियों से मंजूरी लेने पर और जमीन की उपलब्धता को लेकर राज्य सरकार के विभागों से हरी झंडी लेने पर जोर दे रही है। पिछले महीने हुई बैठक में कई राज्यों ने शिकायत की थी कि उन्हें काम जल्दी निपटाने में दिक्कतें पेश आ रही हैं, क्योंकि पानी के पाइप जैसे कच्चे माल के दाम बढ़ रहे हैं। इससे हर घर जल प्रोजेक्ट की रफ्तार पर असर हुआ है।
बात दें कि उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे बड़े राज्य अभी भी योजना को समय पर पूरा करने के लिए जूझ रहे हैं। यहां क्रमशः 15 फीसद, 25 फीसद और 28 फीसद काम हुआ है, जो कि राष्ट्रीय औसत 51 फीसद से बहुत कम है। झारखंड में भी काम 21 फीसद ही पूरा हो सका है। इसके बाद केंद्र सरकार ने इस साल इन राज्यों पर फोकस करने की योजना बनाई है।






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