मेरठ। दुनिया में सबसे ज्यादा दूध उत्पादन के बाद भी देश में लोगों को शुद्ध दूध नहीं मिल रहा है। क्योंकि बच्चों को पिलाने और घर में उपयोग होने वाले दूध में मिलावट मिल रही है। मेरठ की खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन की सहायक आयुक्त सेकेंड अर्चना धीरान ने बताया कि ऐसे दूधियों पर कुल 9 लाख 33 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। पिछले फाइनेंशियल ईयर अप्रैल 2021 से मार्च 2022 के बीच दूध के 207 सैंपल लिए गए थे। इनमें से 144 की रिपोर्ट आ गई है। जिसमें 56 सैंपल फेल हुए हैं। 16 सैंपल में डिटरजेंट के ट्रेस पाए गए हैं। जबकि 40 मानक पर खरे नहीं उतरे हैं। इसमें दूध की मलाई गायब थी।
खाद्य विभाग की सहायक आयुक्त अर्चना धीरान ने बताया कि दूध रखे जाने वाले पात्र को ठीक से साफ न करने से आए डिटरजेंट के ट्रेस पाए गए। उन्होंने कहा कि समय समय पर दूध के सैंपल लिए जाते हैं और ये कार्रवाई जारी रहेगी। उन्होंने बताया कि घर पर भी दूध की जांच ख़ुद परिवार के लोग कर सकते हैं। जैसे दूध की एक बूंद को चिकनी सतह पर डालने से शुद्ध दूध की बूंद धीरे- धीरे आगे बढ़कर पीछे एक सफेद निशान छोड़कर बहती है। जबकि पानी मिला दूध तेज़ी से बिना निशान छोड़े बहेगा। टिंक्चर आयोडीन की कुछ बूंदे मिलाने पर स्टार्च युक्त दूध में नीला रंग आ जाता है। टिंक्चर आयोडीन दवा की दुकान से उपलब्ध हो सकता है। दूध में यूरिया की मिलावट को लेकर एक परखनली में थोड़ा दूध लेकर उसमें आधा चम्मच सोयाबीन या अरहर पाउडर मिलाएं और पांच मिनट के लिए रख दें।
इसके बाद इसमें लाल लिटमस पेपर डुबाने पर पेपर का रंग लाल से नीला हो जाए तो दूध में यूरिया की मिलावट मानी जाती है। लाल लिटमस पेपर स्टेशनरी की दुकान में मिलता है। दूध में वनस्पति की मिलावट जांच करने के लिए तीन से पांच मिली दूध एक परखनली में लेकर उसमें दस बूंद हाईड्रोक्लोरिक अम्ल और एक चम्मच चीनी मिलाने पर पांच मिनट बाद लाल रंग दिखाने देने लगे तो इसका अर्थ है दूध में वनस्पति की मिलावट है। उन्होंने बताया कि ईट राइट कैंपस स्कूल में भी स्वास्थ्य विभाग का अभियान चलाया गया है। मंदिर के प्रसाद को लेकर भी स्वास्थ्य विभाग का अभियान जारी है।
दूध में हो रही है डिटर्जेंट-रिफाइंड की मिलावट, सैंपल जांच में आई रिपोर्ट
शनिवार, जून 04, 2022
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