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मुंबई। मुंबई की एक स्थानीय अदालत ने अपने एक फैसले में कहा है कि मुंबई जैसे शहर में, रात में कर्फ्यू नहीं होने पर देर रात सड़क पर घूमना कोई अपराध नहीं है. दरअसल अदालत ने एक 29 वर्षीय शख्स को बरी करते हुए ये टिप्पणी की है. आपको बता दें कि पुलिस ने उक्त शख्स को सड़क पर संदिग्ध परिस्थितियों में बैठा हुआ मिलने पर मामला दर्ज किया था. सुमित कश्यप नाम के शख्स को मुंबई पुलिस ने संदिग्ध परिस्थितियों में सड़क पर बैठे रहने को लेकर मामला दर्ज किया था. पुलिस ने उसके खिलाफ 13 जून को मामला दर्ज किया था और गिरगांव मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने 16 जून को उसे बरी करने का आदेश दिया. मजिस्ट्रेट ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा पेश किए गए सबूतों के आधार पर अदालत के लिए यह मानना मुश्किल था कि आरोपी अपराध करने के लिए अपनी पहचान छिपाने की कोशिश कर रहा था. मजिस्ट्रेट नदीम पटेल ने कहा, "आरोपी को मुंबई में रात करीब डेढ़ बजे गिरफ्तार किया गया था. मुंबई जैसे शहर में, रात डेढ़ बजे भी देर नहीं होती है और कोई भी सड़क पर खड़ा हो सकता है. इसलिए, इसे इरादे से पहचान छिपाने के लिए नहीं कहा जा सकता है और यह कोई अपराध नहीं है." अदालत ने पुलिस के इस मामले को स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि वह व्यक्ति रूमाल से अपना चेहरा ढककर अपनी पहचान छिपाने की कोशिश कर रहा था.अदालत ने कश्यप को बरी करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष संदेह से परे आरोपी के अपराध को साबित करने में विफल रहा है. दरअसल पुलिस ने दावा किया था कि उत्तर प्रदेश के रहने वाले कश्यप दक्षिण मुंबई में सड़क पर बैठा हुआ मिला था और वह अपना चेहरा रूमाल से ढकने की कोशिश कर रहा था. पुलिस ने कश्यप के खिलाफ महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम की धारा 122 (बी) के तहत मामला दर्ज किया था. इस धारा के तहत पुलिस के पास सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच पाए जाने वाले व्यक्ति के खिलाफ अपराध करने के इरादे से अपना चेहरा ढकने या अन्यथा छिपाने के लिए मामला दर्ज करने का प्रावधान है.
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