कांग्रेस की संगठन को मजबूत करने की कवायद जारी इंतजार की घड़ियां फिर बढ़ीं
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कांग्रेस की संगठन को मजबूत करने की कवायद जारी इंतजार की घड़ियां फिर बढ़ीं


जयपुर। राजस्थान में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की संगठन को मजबूती देने की कवायद जारी है। कांग्रेस संगठन में बड़े स्तर पर चुनाव और नियुक्तियां होनी हैं। उनकी शुरुआत ब्लॉक स्तर के चुनाव से हो भी चुकी है। ब्लॉक अध्यक्षों के चुनाव 31 मई तक होने थे, लेकिन चिंतन शिविर के बाद में इसकी अवधि बढ़ाकर 10 जून कर दी गयी थी। फिर राज्यसभा चुनाव के कारण इसे बढ़ाकर 15 जून कर दिया था। अब पार्टी की ओर से कहा जा रहा है कि ब्लॉक अध्यक्षों की चुनाव प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। पार्टी की ओर से अभी तक भी निर्वाचित ब्लॉक अध्यक्षों की सूची जारी नहीं की गई है।
  दरअसल पार्टी चुनाव की प्रक्रिया तो पूरी कर चुकी है और बीआरओ की ओर से बंद लिफाफों में पदाधिकारियों के नाम भी सौंपे जा चुके हैं, लेकिन अब पार्टी दूसरी तरह के झमेलों में उलझ गई है। इसके चलते ब्लॉक अध्यक्षों के नाम घोषित करने में देरी हो रही है। पहले राज्यसभा चुनाव के चलते प्रक्रिया में देरी हुई थी और अब राहुल गांधी से ईडी की पूछताछ के मामले पर पूरी पार्टी उद्वेलित और आंदोलित है। इसके कारण दूसरे सभी काम ठंडे बस्ते में है। ब्लॉक अध्यक्षों के साथ ही पीसीसी प्रतिनिधियों के भी चुनाव हो चुके हैं। उनके नाम भी सामने आना अभी बाकी हैं।
  पार्टी के पास ब्लॉक अध्यक्षों के नाम आ चुके हैं। चुनाव प्रभारी संजय निरुपम और प्रदेश प्रभारी अजय माकन के बीच चर्चा के बाद सूची जारी की जानी है।  अब इसमें देरी होती हुई नजर आ रही है। ब्लॉक स्तर के चुनाव के बाद जिला और उसके बाद प्रदेश स्तर के चुनाव होने हैं। अब इन सभी स्तरों पर ही देरी होने की आशंकाएं खड़ी हो गई हैं। पार्टी का दावा 15 अगस्त 2022 तक करीब 6 लाख पदाधिकारियों की फौज तैयार कर ली जायेगी।
  प्रदेश में ब्लॉक और बूथ के बीच की कड़ी के रूप में करीब 2200 मंडलों का गठन भी किया जा चुका है। राहुल गांधी की ईडी के पूछताछ के बाद पार्टी की ओर से शुरू किया आंदोलन ज्यादा दिन चला तो पदाधिकारियों के निर्वाचन के साथ ही कार्यकारिणियों के गठन में भी देरी होगी। राजस्थान में जिला और ब्लॉक स्तर की कार्यकारिणियां भंग हुए दो साल का वक्त बीत चुका है। इन दो बरसों में पार्टी की गतिविधियां निवर्तमान कार्यकारिणियों के भरोसे ही चल रही है। अब जबकि चुनाव में डेढ़ साल से भी कम का वक्त बचा है तो ये देरी पार्टी का नुकसान कर सकती है। पार्टी को संगठन की कमी खल रही है। इसे कई मौकों पर पार्टी के नेता जाहिर भी कर चुके हैं। पार्टी चाहती है कि जल्द से जल्द निचले स्तर तक संगठन तैयार हो लेकिन बार-बार तरह-तरह के खलल परेशानी पैदा कर रहे हैं।






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