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बीजिंग । ताइवान से लेकर लद्दाख तक आंखें दिखा रहे चीनी ड्रैगन ने रेगिस्तान के अंदर गुपचुप तरीके से एयरक्राफ्ट कैरियर को मिसाइलों की बारिश करके तबाह करने का अभ्यास किया है। यह जोरदार अभ्यास चीन के ताकमालकान रेगिस्तान में हुआ है, जो भारतीय सीमा से मात्र 600 किमी की दूरी पर है। माना जा रहा है कि ताइवान पर अमेरिकी एयरक्राफ्ट कैरियर से मिलने वाली चुनौती को ध्यान में रखते हुए चीन मिसाइल अभ्यास को अंजाम दे रहा है। चीन की नजर हिंद महासागर पर भी है, जहां उसका सीधा मुकाबला भारतीय युद्धपोतों से होगा।
तस्वीरों से खुलासा किया कि चीनी सेना दुश्मन देश के बंदरगाह में खड़े युद्धपोतों को अपनी लंबी दूरी की मिसाइलों से तबाह करने की ताकत का परीक्षण कर रही है। चीन ने इसके लिए रेगिस्तान के अंदर एयरक्राफ्ट कैरियर टारगेट बनाए हैं जिसे वह मिसाइलों से हमला करके तबाह कर रहा है। इसमें नजर आ रहा है कि कई युद्धपोत बंदरगाह के अंदर खड़े हैं। चीन ने दिसंबर में टारगेट एयरक्राफ्ट कैरियर और युद्धपोतों को बनाया था और उसने फरवरी में इसे एक टेस्ट के जरिए तबाह कर दिया।
चीन के ये लक्ष्य रेगिस्तान में कई जगहों पर मिले हैं। यहां नौसैनिक अड्डे को तबाह करने का अभ्यास किया गया। इस स्थान को दिसंबर 2018 में बनाया गया था। इन स्थानों और वहां पर हुए हमलों को देखकर लग रहा है कि उन्हें मिसाइल हमले के अभ्यास के लिए बनाया गया था। इनदिनों चीन की हाइपरसोनिक एंटीशिप मिसाइलें युद्धपोतों के लिए बड़ा खतरा बन गई हैं। चीन के पास कई हाइपरसोनिक मिसाइलें हैं। चीन की हाइपरसोनिक मिसाइलें दो तरह की हैं। इसमें डीएफ-21डी और डीएफ-26 जमीन आधारित हैं और दूसरी मिसाइल को एच-6 बॉम्बर से दागा जाता है। इसकी पुष्टि हुई है कि टाइप -055 क्लास का रेन्हाई क्लास क्रूजर भी समुद्र में रहते हुए भीषण मिसाइल हमला कर सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन लक्ष्यों को बहुत चुनकर बनाया गया है। चीन ने जमीन पर लोहे की चादर डालकर इन लक्ष्यों को बनाया। चीन की कम से कम एंटी शिप मिसाइलें अमेरिका के लिए चिंता का विषय बनी हुई हैं।
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