गोवा में खनन गतिविधियों पर प्रतिबंध से वित्तीय स्थिति हो रही खराब
मुंबई । उद्योग संगठनों ने गोवा में खनन गतिविधियों पर प्रतिबंध की वजह से दिन-प्रतिदिन राज्य की खराब होती वित्तीय स्थिति पर चिंता जाहिर की। इतना ही नहीं उद्योग संगठनों ने खनन गतिविधियों पर रोक तुरंत हटाने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट के वर्ष 2018 के आदेश के बाद से गोवा में खनन गतिविधियां पूरी तरह से ठप हैं। अपने फैसले में उच्चतम न्यायालय ने गोवा में 88 कंपनियों को 2015 में आवंटित लौह अयस्क खनन पट्टों के दूसरे नवीनीकरण को रद्द कर दिया था। गोवा उद्योग एवं व्यापार मंडल (जीसीसीआई) के अध्यक्ष राल्फ डिसूजा ने कहा, हर गुजरते दिन के साथ गोवा की वित्तीय स्थिति खराब होती जा रही है। हमें सरकार से खनन को फिर से शुरू करने के लिए एक बड़ा फैसला लेने की उम्मीद है। उन्होंने दावा किया कि राज्य के वित्तीय संस्थानों को गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों में वृद्धि का सामना करना पड़ रहा है और खनन की तत्काल बहाली गोवा में इस 'तनावपूर्ण स्थिति' से राहत दिला सकती है।
गोवा खनिज अयस्क निर्यातक संघ (जीएमओईए) के सचिव ग्लेन कलवम्पारा ने कहा कि गोवा का मुख्य आर्थिक स्तंभ रहा खनन कई वर्षों से बंद है, इससे न केवल आर्थिक चिंताएं पैदा हो रही हैं, बल्कि इस पर आश्रित लोगों की भी मुश्किलें बढ़ी हैं। उन्होंने कहा, स्थानीय उद्योगों के साथ-साथ अन्य उद्योग मंडलों ने भी इसपर बार-बार चिंता जाहिर की हैं, गोवा सरकार से जरूरी समाधान निकाले जाने की उम्मीद है। स्थिरता को ध्यान में रखकर खनन को जल्द से जल्द फिर से शुरू करने की जरूरत है।’’ उद्योग के जानकारों का कहना है कि गोवा की आर्थिक वृद्धि में गिरावट के साथ राज्य सरकार अब खनन प्रतिबंध के मुद्दे पर देर तक अनिर्णय का जोखिम नहीं उठा सकती है। योजना, सांख्यिकी एवं मूल्यांकन निदेशालय की तरफ से जारी आर्थिक समीक्षा के अनुसार, 2020-21 में गोवा की अर्थव्यवस्था में मात्र 1.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
Please do not enter any spam link in the comment box.