बिहार में पराली जलाने वाले किसानों को तीन साल तक नहीं मिलेगा सरकारी योजनाओं का लाभ
बिहार । डीएम सुब्रत कुमार सेन ने कहा कि खेतों में फसलों के अवशेष जलाने से होने वाले नुकसान के प्रति किसानों को जागरूक किया जाए। डीएम ने कहा कि किसानों के बीच ऐसी मान्यता है कि फसलों के अवशेष को खेत में जलाने से खरपतवार एवं कीटों को खत्म किया जा सकता है, लेकिन सच तो ये है कि फसल अवशेष जलाने से मिट्टी के पोषक तत्व एवं कार्बनिक पदार्थ की क्षति तथा खेतों में उपस्थित लाभकारी जीवाणु नष्ट हो जाते हैं।एक टन पुआल जलने से 60 किलोग्राम कार्बन मोनोआक्सइड, 1460 किलोग्राम कार्बन डायआक्साइड, 199 किलोग्राम राख, दो किलोग्राम सल्फर डायआक्साइड सहित अन्य हानिकारक कण निकलते हैं। खेतों में फसल का अवशेष जलाए जाने से सांस लेने, आंख, नाक एवं गले की समस्या उत्पन्न होती है। डीएम ने जिला कृषि पदाधिकारी को निर्देश दिया कि आत्मा एवं कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से किसानों को प्रशिक्षित करें।
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