बाल विवाह की जानकारी छिपाने पर अधिनियम के तहत होगी कार्यवाही
रायसेन, - अभिभावकों से अपने बच्चों की शादी निर्धारित उम्र में करने की अपील महिला बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री दीपक संकत द्वारा की गई है। उल्लेखनीय है कि बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है, जिसके कारण देश में हजारों बालक, बालिकाओं को विधि अनुरूप विवाह की निर्धारित उम्र से पूर्व ही पारिवारिक बंधनों में बांधकर माता-पिताओं द्वारा उनके भविष्य से खिलवाड किया जाता है।
सरकार द्वारा इस कुरीति को समाज से पूर्णतः समाप्त करने के उद्देश्य से बाल विवाह अधिनियम, 2006 लागू किया गया है, जिसके अंतर्गत बाल विवाह करवाने वाले वर-वधु दोनों पक्षों के माता-पिता, भाई-बहन, अन्य पारिवारिक सदस्यों, विवाह करवाने वाले पंडित अथवा अन्य धर्मगुरू, विवाह में शामिल बाराती, घराती, बाजेवाले, घोडेवाले, टेन्टवाले, हलवाई तथा विवाह कार्यक्रम में सम्मिलित होने वाले अन्य सभी संबंधित व्यक्तियों पर कानूनी कार्यवाही की जायेगी। समस्त माता-पिताओं से अनुरोध किया गया है कि अपने बच्चों का विवाह विधि अनुरूप विवाह की निर्धारित आयु के पूर्व लडकी की 18 वर्ष एवं लडके की 21 वर्ष किसी भी दशा में ना करें। साथ ही अन्य समस्त जनसाधारण एवं विवाह में सेवा देने वाले सेवाप्रदाताओं से भी अनुरोध है कि ऐसे किसी भी विवाह कार्यक्रम में ना तो शामिल हों और ना ही अपनी सेवाएं दें अन्यथा उनके विरुद्ध अधिनियम अंतर्गत कानूनी कार्यवाही की जायेगी।
इसी क्रम में एक विशेष अपील विवाह कराने वाले धर्मगुरूओं, विवाह में सेवा देने वाले सेवाप्रदाताओं तथा मुद्रकों विवाह पत्रिका छापने वाली प्रिटिंक प्रेस आदि से की जाती है कि वे विवाह के पूर्ववर एवं वधु दोनों की सही आयु की संतुष्टि हेतु उनके मूल जन्म प्रमाण पत्र, अंकसूची, स्कूल की टी.सी. आदि की सत्यापित छायाप्रति प्राप्त कर अपने पास अनिवार्य रूप से संग्रहित करें तथा उम्र सही होने की दशा में ही विवाह की पत्रिका छापें एवं सेवाये देना सुनिश्चित करें।
रायसेन, - अभिभावकों से अपने बच्चों की शादी निर्धारित उम्र में करने की अपील महिला बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री दीपक संकत द्वारा की गई है। उल्लेखनीय है कि बाल विवाह एक सामाजिक कुरीति है, जिसके कारण देश में हजारों बालक, बालिकाओं को विधि अनुरूप विवाह की निर्धारित उम्र से पूर्व ही पारिवारिक बंधनों में बांधकर माता-पिताओं द्वारा उनके भविष्य से खिलवाड किया जाता है।
सरकार द्वारा इस कुरीति को समाज से पूर्णतः समाप्त करने के उद्देश्य से बाल विवाह अधिनियम, 2006 लागू किया गया है, जिसके अंतर्गत बाल विवाह करवाने वाले वर-वधु दोनों पक्षों के माता-पिता, भाई-बहन, अन्य पारिवारिक सदस्यों, विवाह करवाने वाले पंडित अथवा अन्य धर्मगुरू, विवाह में शामिल बाराती, घराती, बाजेवाले, घोडेवाले, टेन्टवाले, हलवाई तथा विवाह कार्यक्रम में सम्मिलित होने वाले अन्य सभी संबंधित व्यक्तियों पर कानूनी कार्यवाही की जायेगी। समस्त माता-पिताओं से अनुरोध किया गया है कि अपने बच्चों का विवाह विधि अनुरूप विवाह की निर्धारित आयु के पूर्व लडकी की 18 वर्ष एवं लडके की 21 वर्ष किसी भी दशा में ना करें। साथ ही अन्य समस्त जनसाधारण एवं विवाह में सेवा देने वाले सेवाप्रदाताओं से भी अनुरोध है कि ऐसे किसी भी विवाह कार्यक्रम में ना तो शामिल हों और ना ही अपनी सेवाएं दें अन्यथा उनके विरुद्ध अधिनियम अंतर्गत कानूनी कार्यवाही की जायेगी।
इसी क्रम में एक विशेष अपील विवाह कराने वाले धर्मगुरूओं, विवाह में सेवा देने वाले सेवाप्रदाताओं तथा मुद्रकों विवाह पत्रिका छापने वाली प्रिटिंक प्रेस आदि से की जाती है कि वे विवाह के पूर्ववर एवं वधु दोनों की सही आयु की संतुष्टि हेतु उनके मूल जन्म प्रमाण पत्र, अंकसूची, स्कूल की टी.सी. आदि की सत्यापित छायाप्रति प्राप्त कर अपने पास अनिवार्य रूप से संग्रहित करें तथा उम्र सही होने की दशा में ही विवाह की पत्रिका छापें एवं सेवाये देना सुनिश्चित करें।
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