रायसेन, 07 फरवरी 2022
उद्यानिकी फसलों की कीट एवं बीमारियों के नियंत्रण हेतु कृषकों द्वारा थोड़ी सी सावधानी रख फसलों को बचाया जा सकता है। उद्यानिकी विभाग द्वारा कृषकों को सुझाव दिया गया है कि कीट द्वारा पत्तियों तथा तना के विभिन्न अंगों का रस चूसना, कोमल पत्तियों तथा तनों को खाना, फूलों का रस चूसना, खाना एवं विकृत करना, फलों एवं तनों में छेद करना, पौधों की जड़ें काटना आदि होता है।
कृषकों को सावधानियां बरतनी चाहिए। सब्जियों एवं फलों की रोक प्रतिरोधी किस्मों का प्रयोग करें, अंतवर्तीय फसलों की खेती रोग प्रबंधन में कारगर है। भिण्डी में पीला मोजेक रोग के नियंत्रण में लोविया लगाकर कर सकते हैं। सब्जी वर्गीय फसलों में बुवाई अथवा रोपाई में बदलाव मृदा व बीज जनित बीमारियों के नियंत्रण में कारगर है। ग्रीष्म कालीन गहरी जुताई व नीम खली का प्रयोग करें। फफूंद जनित बीमारियों के प्रबंधन हेतु ट्राईकोडरमा, बिरिडी ट्राईकोडरमा, हरजिनयानम से बीज उपचार करें।
इसी प्रकार जीवाणु जनित बीमारियों के बचाव हेतु स्यूडोमोनास का प्रयोग करें। वायरस जनित बीमारियों से बचाव हेतु रोग ग्रसित पौधों का उखाड़ कर जला देवें व रस चूसक कीटों के नियंत्रण हेतु अनसंशित कीट नाशक दवाओं का छिड़काव करें। पत्तियों, तनों व फलों पर लगने वाली बीमारियों के नियंत्रण हेतु जैविक फफूंद नाशक दवाओं में ट्राईकोडरमा, बिरिडी अथवा स्यूडोमोनास का प्रयोग करें। रासायनिक दवाओं में कार्वान्डाजिम, मेन्कोजेब, प्रोपिको नोजोल, ट्राइजोइक्लोजाल, कॉपर युक्त दवाओं का प्रयोग करें
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