कभी राम तो कभी कृष्ण रूप में प्रकट होते है भगवान-पंडित श्री शिवराज कृष्ण शास्त्री
Type Here to Get Search Results !

कभी राम तो कभी कृष्ण रूप में प्रकट होते है भगवान-पंडित श्री शिवराज कृष्ण शास्त्री

कभी राम तो कभी कृष्ण रूप में प्रकट होते है भगवान-पंडित श्री शिवराज कृष्ण शास्त्री
Editor in Chief Abhishek Malviya 
सांचेत कभी राम तो कभी कृष्ण रूप में प्रकट होते हैं भगवान कस्बा सांचेत में प्राचीन मां हिंगलाज दुर्गा मठ पर चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत के चौथे दिन शनिवार को कथा वाचक पंडित श्री शिवराज कृष्ण जी शास्त्री ने श्रीकृष्ण जन्म और श्री राम जन्म की कथा को विस्तार से सुनाया ओर श्री कृष्ण की लीला, वामन लीला को विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि भगवान राम का जीवन अनुकरणीय है, वहीं श्रीकृष्ण का जीवन श्रवणीय है। हमें भगवान राम के दिखाए हुए आदर्शों पर चलना चाहिए। वहीं भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं की कथा सुनने मात्र से ही प्राणियों का कल्याण हो जाता है। भगवान श्रीराम ने जिस चरित्र का पालन किया, जिस मर्यादा का पालन किया, उसका पालन मनुष्य को निरंतर करते रहना चाहिए।
भगवान भक्तों के कल्याण के लिए ही कभी राम रूप में प्रकट होते हैं, कभी कृष्ण रूप में प्रकट होते हैं और पृथ्वी का भार उतार कर सुंदर लीला कर अपने दिव्य धाम को चले जाते हैं। वामन अवतार का वर्णन करते हुए पंडित श्री शास्त्री ने बताया कि राजा बलि से तीन पग भूमि दान में मांगने का वचन लेकर भगवान वामन ने असुरों के आतंक से पृथ्वी को बचाया था। इसके बाद भगवान त्रेतायुग में श्रीराम के रुप में अवतरित हुए और संसार को रावण के त्रास से मुक्त किया।
उन्होंने बताया कि भगवान को जब भक्तों के ऊपर अपार कृपा करनी होती है, तब इस भूलोक पर प्रकट होकर सुंदर लीला करते हैं। भगवान के भक्त उस लीला का स्मरण कर, श्रवण कर, पालन कर अपना कल्याण कर लेते हैं। भागवत कथा ऐसा साधन है, जिससे इंसान को अनंत काल से चले आ रहे जन्म और मृत्यु के काल चक्र से मुक्ति मिल जाती है।
पंडित श्री अरुण कुमार जी शास्त्री ने बताया कथा के माध्यम से सत्संग से सब सुलभ हो जाता है सत्संग से सब विपत्तियां दूर होती हैं, संसार में जितने लोगों ने भी सुमति कीर्ति संपत्ति, प्रतिष्ठा इत्यादि पाई है वह सब सत्संग से ही सुलभ हो सकी है। सत्संग की महिमा अपार है। उक्त बात पंडित श्री अरुण कुमार जी शास्त्री द्वारा भागवत कथा मैं मां हिंगलाज दुर्गा मठ में भागवत कथा सप्ताह यज्ञ महोत्सव में कहीं। उन्होंने कहा कि दीर्घकाल तक नित्य प्रति श्रद्धा एवं निष्ठा के साथ किए गए सत्संग से ही सब विपत्तियां दूर होती हैं और सब कुछ सुलभ हो जाता है।
उन्होंने कहा कि घड़ा में छिद्र है उस घड़ा में कितना ही पानी भर दो वह भर नहीं पाएगा। लेकिन जब इस छिद्र युक्त घड़े को ही पानी में डाल दोगे तो वह फिर खाली नहीं होगा, इसी तरह मनुष्य शरीर भी छिद्र बाला घड़ा है। यदि इसे नियमित रूप से सत्संग रूपी सरोवर में हम डाले रहेंगे तो यह घड़ा कभी खाली नहीं होगा, इसलिए हमें जीवन पर्यंत जन्म जन्मों तक सत्संग करते रहना चाहिए।
उन्होंने कहा कि कथा को सुनकर जीवन में उतारना चाहिए तभी कल्याण संभव है, तभी तो श्रवण के बाद मनन करने की व्यवस्था दी गई है। उन्होंने कहा कि महात्माओं के चरण तो धो कर पीते हैं लेकिन उनकी वाणी को नहीं मानते, ऐसा करने से कोई फायदा नहीं होने वाला।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Ad

Below Post Ad

Bhopal

4/lgrid/Bhopal
----------------NEWS Footer-------------------------------- --------------------------------CSS-------------------------- -----------------------------------------------------------------