नई दिल्ली | इंडिया गेट पर सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती पर ऐलान किया गया है कि उनकी एक 28 फीट ऊंची एक भव्य प्रतिमा लगाई जाएगी। राष्ट्रीय ललित कला अकादमी पुरस्कार से सम्मानित और नैशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट के महानिदेशक अद्वैत गणनायक के मुताबिक यह प्रतिमा ग्रेनाइट से बनी होगी।

हालांकि जब तक यह प्रतिमा नहीं बन जाती इसकी जगह पर एक होलोग्राम प्रतिमा लगाई गई है। नेताजी की इस मूर्ति में ऐसा क्या खास होगा और प्रतिमा के जरिये क्या दर्शाने की कोशिश होगी, इस बारे में अद्वैत गणनायक ने आईएएनएस को बताया कि इस प्रतिमा को करीब 30 कलाकार मिलकर तैयार करेंगे।

अद्वैत गणनायक ख्यातिलब्ध ने कहा , नेताजी की देश में पहली इतनी बड़ी प्रतिमा होगी जिसे ग्रेनाइट पत्थर से बनाया जाएगा। जिस तरह वो दुश्मनों की सामने चट्टान की तरह खड़े रहे, उनकी झलक देशवासियों तक पहुंचे, इसलिए हम ग्रेनाइट की प्रतिमा बना रहे हैं। उनकी हाइट, वजन, वह क्या पहनते थे, किस तरह के पकड़े थे, किस तरह चलते थे, इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए इस प्रतिमा को बनाया जाएगा।


उन्होंने कहा, प्रतिमा के लिए पत्थर चुनना एक बड़ी बात है। यह ब्लैक पत्थर होना चाहिए। यह एक दम मजबूत होगा, जिसमें कोई भी रंग उतारो, वह सब रंगों को अपना लेगा। इस प्रतिमा को बनाने में करीब 30 आर्टिस्ट काम करेंगे, लेकिन प्रतिमा को बनाने के लिए ट्रेडिशनल तरीका भी अपनाया जाएगा। यानी प्रतिमा को छेनी व हथोड़े की मदद से भी तराशा जाएगा और डिजिटल माध्यम से भी इसकी कटिंग होगी। इसलिए ट्रेडिशनल आर्टिस्ट व कंटेम्परेरी आर्टिस्ट दोनों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

नेताजी एक वीर सैनिक, योद्धा, महान सेनापति और कुशल राजनीतिज्ञ थे। देश को अंग्रेजों से आजादी दिलाने के लिए उन्होंने आजाद हिंद फौज का गठन किया था और जापानियों के साथ मिलकर देश के कुछ हिस्सों को अंग्रेजों से आजाद भी कर लिया था। इसलिए इतने बड़े व्यक्तित्व की प्रतिमा को बनाने के लिए साउथ के अलग अलग जगहों पर पत्थर को ढूंढा जा रहा है, जिसका काम जारी है।

उन्होंने बताया कि, ग्रेनाइट पत्थर साउथ से आएगा क्योंकि ग्रेनाइट साउथ में ही पाया जाता है। हम लगता है कि कर्नाटक के चामराजनगर भी यह मिल सकता है, तेलंगाना, आंध्र में भी यह मिल सकता है। इसे बेंगलुरू के पास भी हम ढूंढ रहे हैं। हमारी टीम इसको खोज रही है। हमें जेड ब्लैक रंग वाली मूर्ति चाहिए और उसी पत्थर को लेकर आएंगे।

अद्वैत के अनुसार, ग्रेनाइट पत्थर बड़ा और वजनदार होगा उसके लिए खास गाड़ी तैयार की जाएगी ताकि एक पूरा पत्थर एक साथ लाया जा सके। यह पत्थर 30 फीट का होगा।

उन्होंने आगे बताया कि, हम इसे बस एक प्रतिमा सोच कर नहीं बना रहे हैं बल्कि पूरा देश को सम्मानित किया जा रहा है। होलोग्राम के जरिये लोगों को अंदाजा लग गया है लेकिन जब इसको बनाया जाएगा तो उसपर बहुत काम करना पड़ेगा। हर छोटी छोटी बारीकियों पर ध्यान दिया जाएगा और उसको ध्यान में रखते हुए इस प्रतिमा को बनाई जाएगी।

इंडिया गेट पर एक प्रतिमा नहीं बनाई जा रही बल्कि सुभाष जी खुद खड़े हैं, इस तरह उसे दिखाया जाएगा। प्रतिमा के चारों ओर रौशनी होगी ताकि रायसीना हिल से भी उनकी झलक नजर आए। इसलिए पहले हम प्रतिमा के कई मॉडल बनाएंगे जिसे लगाकर देखेंगे, कि प्रतिमा लगने के बाद यह कैसी दिखेगी, यह सब एक प्रक्रिया के तहत बनाई जाएगी।

दरअसल सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा, बंगाल डिविजन के कटक में हुआ था। इनका परिवार काफी संपन्न व सम्मानित था। सुभाष चंद्र बोस अपने 7 भाई और 6 बहनों में 9 वें नंबर पर थे। हालांकि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक प्रतिमा बनाने का एलान किया तो उनके परिवार के सदस्यों ने भी इसका स्वागत किया। उन्होंने प्रतिमा के साथ साथ उनके विचारों पर चलने की भी अपील की है।