श्योपुर, 06 फरवरी 2022
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने गत दिवस हैदराबाद के पाटनचेरु में अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय परिसर के लिए अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान
(आईसीआरआईएसएटी) का दौरा किया और
आईसीआरआईएसएटी की 50वीं वर्षगांठ समारोह की
शुरुआत की। प्रधानमंत्री ने पादप संरक्षण पर
आईसीआरआईएसएटी की जलवायु परिवर्तन अनुसंधान
सुविधा और आईसीआरआईएसएटी की रैपिड जनरेशन
एडवांसमेंट सुविधा का भी उद्घाटन किया। ये दो
सुविधाएं एशिया और अफ्रीका के छोटे किसानों को
समर्पित हैं। प्रधानमंत्री ने आईसीआरआईएसएटी के
विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए लोगो का भी अनावरण
किया और इस अवसर पर जारी एक स्मारक डाक
टिकट का शुभारंभ किया। इस अवसर पर तेलंगाना की
राज्यपाल श्रीमती तमिलिसाई सुंदरराजन, केंद्रीय मंत्री श्री
नरेंद्र सिंह तोमर और श्री जी किशन रेड्डी भी उपस्थित
थे।
प्रधानमंत्री ने देश और आईसीआरआईएसएटी दोनों के
लिए अगले 25 वर्षों के महत्व को रेखांकित करते हुए नए
लक्ष्यों और उनके लिए काम करने की आवश्यकता पर
बल दिया। प्रधानमंत्री ने भारत सहित दुनिया के बड़े
हिस्से में कृषि की मदद, पानी और मिट्टी के प्रबंधन,
फसल की विविधता में सुधार, खेत की विविधता और
पशुधन एकीकरण में आईसीआरआईएसएटी के योगदान
की सराहना की। उन्होंने किसानों को उनके बाजारों के
साथ एकीकृत करने और आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में
दलहन और चना उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए उसके
समग्र दृष्टिकोण की भी प्रशंसा की। श्री मोदी ने कहा,
“आपके शोध और प्रौद्योगिकी ने कृषि को आसान और
टिकाऊ बनाने में मदद की है।“ प्रधानमंत्री ने कहा कि
जलवायु परिवर्तन से सबसे ज्यादा प्रभावित वे लोग हैं, जो
कम संसाधनों के साथ विकास के अंतिम पायदान पर हैं।
इसीलिए, प्रधानमंत्री ने दुनिया से जलवायु परिवर्तन पर
विशेष ध्यान देने के लिए भारत के अनुरोध को दोहराया।
प्रधानमंत्री ने देश के 15 कृषि-जलवायु क्षेत्रों और 6
मौसमों का जिक्र करते हुए भारतीय कृषि के प्राचीन
अनुभव की गहराई पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि
भारत का ध्यान अपने किसानों को जलवायु चुनौती से
बचाने के लिए ’बैक टू बेसिक’ और ’मार्च टू फ्यूचर’ के
फ्यूजन पर है। प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारा ध्यान हमारे
80 प्रतिशत से अधिक किसानों पर है जो छोटे हैं और
हमें सबसे ज्यादा जरूरत है।“ उन्होंने बदलते भारत के
एक और आयाम यानी डिजिटल कृषि का उल्लेख किया,
जिसे उन्होंने भारत का भविष्य बताया और इस बात पर
जोर दिया कि प्रतिभाशाली भारतीय युवा इसमें बहुत
बड़ा योगदान दे सकते हैं। उन्होंने फसल मूल्यांकन, भूमि रिकॉर्ड डिजिटलीकरण, ड्रोन द्वारा कीटनाशकों और पोषक तत्वों का छिड़काव जैसे क्षेत्रों को सूचीबद्ध किया, जो प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बढ़ते उपयोग को देख रहे हैं। उन्होंने
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कहा, “डिजिटल तकनीक के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाने के लिए भारत के प्रयास लगातार बढ़ रहे हैं।“
प्रधानमंत्री ने जोर दिया कि अमृत काल में, भारत उच्च कृषि विकास के साथ-साथ समावेशी विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। कृषि क्षेत्र में महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से सहायता प्रदान की जा रही है। “कृषि में आबादी के एक बड़े हिस्से को गरीबी से बाहर निकालने और उन्हें बेहतर जीवन-शैली की ओर ले जाने की क्षमता है। यह अमृत काल भौगोलिक दृष्टि से दुर्गम क्षेत्रों के किसानों को भी नए साधन उपलब्ध कराएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत दोहरी रणनीति पर काम कर रहा है। एक ओर जहां जल संरक्षण और नदियों को जोड़ने से भूमि के एक बड़े हिस्से को सिंचाई के दायरे में लाया जा रहा है, दूसरी ओर सीमित सिंचाई वाले क्षेत्रों में सूक्ष्म सिंचाई के माध्यम से जल उपयोग दक्षता को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि यह ’आजादी का अमृत महोत्सव’ का साल है और इसी तरह इक्रिसैट भी अपने 50 साल पूरे कर रहा है। ये दो अवसर हम सभी के लिए प्रेरणादायी हैं और हमें अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने और आने वाले 25 वर्षों के लिए नए लक्ष्य बनाने की याद दिलाते हैं। श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने वर्ष 2014 से पदभार संभाला है, तब से राष्ट्र को उनके माध्यम से नई दृष्टि और दिशा मिल रही है। इस वर्ष का बजट न केवल गांवों, गरीब लोगों, किसानों, दलितों, महिलाओं और युवाओं के हितों की रक्षा करने का प्रावधान करता है, बल्कि आने वाले 25 वर्षों के लिए नए भारत की नींव भी रखता है, जब देश अपनी आजादी के 100वें वर्ष का जश्न मना रहा होगा। समाज के सभी वर्गों ने इस बजट की सराहना की है और मैं एक बार फिर इस बजट को तैयार करने में प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण की सराहना और स्वागत करता हूं।
श्री तोमर ने कहा कि हम सभी कृषि और किसानों के महत्व को जानते हैं। पहले हमारे पास ’जय जवान जय किसान’ का नारा था और जब स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री थे तो उन्होंने नारे में ’जय विज्ञान’ जोड़ा। जब श्री मोदी जी पीएम बने तो उन्होंने जय जवान, जय किसान और जय विज्ञान को लागू किया और उन्होंने इस नारे में जय अनुसंधान (शोध) को भी जोड़ा। और यही कारण है कि अगर हम पीएम श्री नरेंद्र मोदी के किसी भी कार्यक्रम को देखें तो हम इसे आत्मनिर्भर भारत, एक भारत और श्रेष्ठ भारत आदि के संदर्भ में नवाचार, अनुसंधान, बहु-दिशात्मक प्रगति के दृष्टिकोण को मजबूत करते हुए देख सकते हैं। कोविड-19 संकट के दौरान प्रधानमंत्री ने स्थिति से निपटने के लिए उल्लेखनीय कदम उठाए। प्रधानमंत्री के अनुरोध का सम्मान करते हुए, संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय पोषक-अनाज वर्ष के रूप में घोषित किया है। आज जलवायु परिवर्तन को लेकर हमारा देश और पूरी दुनिया चिंतित है। जलवायु परिवर्तन के संबंध में हमारे प्रधानमंत्री की दृष्टि बहुत महत्वपूर्ण और प्रशंसनीय है। मुझे लगता है कि इस संबंध में आईसीआरआईएसएटी जैसे संस्थानों की जिम्मेदारी और बढ़ जाती है और वे उसी के अनुसार परिणाम देंगे।
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