रायपुर । छत्तीसगढ़ में आर्थिक अपराध शाखा ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में न्यायिक हिरासत में भेजे गए निलंबित एडीजी जीपी सिंह के मददगारों पर भी कानूनी शिकंजा कसने की तैयारी की है। दरअसल छह दिन के पुलिस रिमांड के दौरान जीपी ने ज्यादातर सवालों के जवाब नहीं में दिए हैं। हालांकि ईडब्ल्यूओ ने चार सौ पन्ने की कुंडली बनाकर कोर्ट को सौंपा है, लेकिन जीपी के खिलाफ पुख्ता सुबूत जुटाने के लिए उनके सहयोगी, लाखों का निवेश कराने, फरार करवाने के साथ शाखा की एक-एक गतिविधियों और कार्रवाई की सूचना देने वाले कुछ विभागीय कर्मचारी से पूछताछ की जाएगी।
आर्थिक अपराध शाखा के सूत्रों ने बताया कि चार महीने तक फरारी के दौरान जीपी सिंह की रूपेश सर्राफ नामक शख्स से लगातार बातचीत होती थी। लिहाजा रूपेश को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की तैयारी की गई है। अपराध शाखा ने अपने जांच प्रतिवेदन में भी रूपेश सर्राफ के नाम का उल्लेख करते हुए लिखा है कि गिरफ्तार होने के पहले तक जीपी की रूपेश से बातचीत करने के ठोस सुबूत मिले है।
इसके अलावा उनके करीबियों में मनीभूषण, प्रीतपाल सिंह और सीए पर भी एक बार और शिंकजा कस सकता है,क्योंकि जांच के दौरान जीपी द्वारा दोस्त मनीभूषण के घर में छिपाकर रखा गया दो किलो सोना और प्रीतपाल सिंह के घर से नकद 13 लाख रूपये बरामद किया गया था।
जब अधिकारियों ने जीपी सिंह से यह पूछा कि आखिर क्या वजह थी कि अपने दोस्त के घर सोना व नकदी छिपाना पड़ा था,तब वे कोई जवाब नहीं दे पाए थे। वहीं सीए ने पूछताछ में कहा था कि दूसरे के संपत्ति के बारे में कोई जानकारी नहीं है बल्कि जानबूझकर उनकी संपत्ति को मेरी संपत्ति बताया जा रहा है।
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