नई दिल्ली । कोरोना मरीजों की पहचान के लिए अब सरकार ने कोरोना टेस्ट के मामले में रणनीति बदल दी है। अब जांच के मामले में ज्यादा से ज्यादा आरटीपीसीआर टेस्ट पर ध्यान दिया जा रहा है। दिसंबर में एक तारीख से 28 तारीख तक कुल टेस्ट में आरटीपीसीआर का योगदान बढ़कर 89.29 प्रतिशत रहा है।इसे 100 प्रतिशत तक ले जाने की सरकार की योजना है।

दिल्ली सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आरटीपीसीआर टेस्ट को अधिक प्रभावी माना जा रहा है। कोरोना का संक्रमण जिस तेजी से बढ़ रहा है। इसलिए आरटीपीसीआर पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है। दिसंबर में ही एक दिसंबर से 28 दिसंबर तक कुल 15 लाख, 93 हजार 999 टेस्ट किए गए हैं। इसमें से 14 लाख 23 228 आरटीपीसीआर टेस्ट और लाख 70 हजार 771 रैपिड एंटीजन टेस्ट शामिल हैंजबकि नवंबर में कुल टेस्ट 14 लाख 87 हजार 7772 हुए थे। जिसमें 12 लाख 31 हजार 116 आरटीपीसीआर टेस्ट शामिल हैं। इससे पहले दिसंबर 2020 में आरटीपीसीआर टेस्ट का योगदान 50.24 प्रतिशत था। उसके बाद से धीरे धीरे आरटीपीसीआर टेस्ट का आंकड़ा बढ़ना शुरू हुआ था। उसके बाद जनवरी में 57, फरवरी व मार्च में 64-64, अप्रैल में 66 प्रतिशतमई में 75 प्रतिशत तक आरटीपीसीआर टेस्ट का आंकड़ा रहा था। जून में आरटीपीसीआर का योगदान घटकर 71 प्रतिशतजुलाई व अगस्त में आरटीपीसीआर का प्रतिशत 69-69 रहा था। सितंबर में यह भागीदारी 70 प्रतिशत और अक्टूबर में 74 प्रतिशत रही थी।