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बिलासपुर. लोकतंत्र में जनता ही सर्वोपरि होती है. आम आदमी की आवाज दबाई नहीं जा सकती, ये बातें आपने खूब सुनी होंगी. लेकिन छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में बीते दिनों ऐसा ही एक नजारा दिखा. यहां ट्रेनों का स्टॉपेज बढ़ाने और मंथली सीजन टिकट की सुविधा शुरू करने के लिए आम लोगों का संगठन रेलवे जोन मुख्यालय के सामने धरने पर बैठा था. रेल प्रशासन ने इन लोगों की मांग सुने बिना ही धरना खत्म कराने का प्रयास किया. रेलवे के अधिकारियों ने इसके लिए आरपीएफ के जवानों को भेजा, ताकि धरनास्थल से पब्लिक का पंडाल उखाड़ा जा सके. लेकिन आंदोलन कर रहे लोगों ने इसकी शिकायत स्थानीय जिला प्रशासन से कर दी. इस पर बिलासपुर कलेक्टर ने आरपीएफ को धरनास्थल से पंडाल उखाड़ने से रोक दिया.बिलासपुर के कलेक्टर डॉ. सारांश मित्तर ने लोकतांत्रिक आंदोलन का समर्थन किया. साथ ही कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से किए जा रहे आंदोलन को रोका नहीं जा सकता. जिला कलेक्टर के हस्तक्षेप के बाद आम लोगों को धरनास्थल से हटाने का रेलवे का प्रयास नाकाम साबित हुआ. बिलासपुर से प्रकाशित हिंदी अखबार हरिभूमि की रिपोर्ट के मुताबिक, छात्र युवा नागरिक रेलवे जोन संघर्ष समिति दरअसल लंबे अर्से से छोटे स्टेशनों पर ट्रेनों का स्टॉपेज बढ़ाने और एमएसटी की सुविधा शुरू करने की मांग कर रही है.

टेंट लगाने को लेकर शुरू हुआ विवाद

रेलवे प्रशासन ने जब संघर्ष समिति की मांगों पर ध्यान नहीं दिया, तो बीते दिनों संगठन के सदस्य रेल जोन मुख्यालय के सामने धरना देने पहुंचे. संघर्ष समिति ने जब बिलासपुर जोन मुख्यालय के सामने धरना देने के लिए टेंट लगाना शुरू किया, तो आरपीएफ ने इसका विरोध किया. इस पर संघर्ष समिति के साथ रेल सुरक्षा बल के अधिकारियों की ठन गई. समिति के सदस्यों ने एसडीएम और पुलिस-प्रशासन को सूचना देने का हवाला दिया, लेकिन आरपीएफ टेंट नहीं लगाने देने पर अड़ी रही. इसके बाद समिति ने बिलासपुर के जिला कलेक्टर डॉ. सारांश मित्तर से गुहार लगाई.
डीसी ने सुलझाया विवाद

संघर्ष समिति की मांगों और उनके धरना के बारे में जानकारी मिलने के बाद डीसी डॉ. सारांश मित्तर ने फौरन रेल महाप्रबंधक से संपर्क किया. उन्होंने रेलवे के अधिकारियों से साफ कहा कि सार्वजनिक स्थान पर लोकतांत्रिक तरीके से किए जा रहे विरोध प्रदर्शन को रोका नहीं जा सकता. उन्होंने छात्र युवा नागरिक रेलवे जोन संघर्ष समिति के धरने को सही ठहराया और आरपीएफ को टेंट उखाड़ने से रोक दिया. रेल जीएम और डीसी के बीच बातचीत के बाद यह विवाद शांत हुआ.