सांसारिक जीवन मे संकट का सामना कर मनुष्य भवभार करता है
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सांसारिक जीवन मे संकट का सामना कर मनुष्य भवभार करता है



सांसारिक जीवन मे संकट का सामना कर मनुष्य भवभार करता है
सभी धर्म ग्रंथों का सार गीता में मिलता है
जीरापुर(सं.):-गीता जयंती के पावन अवसर पर गीता जयंती एवं वार्षिक उत्सव का आयोजन विश्व गीता प्रतिष्ठान उज्जैन द्वारा संचालित सांदीपनी गीता स्वाध्याय मंडल द्वारा स्थानीय कॉलोनी में आयोजित किया गया!
            इस पावन अवसर पर दीप प्रज्ज्वलित, श्री कृष्ण,गीता पूजन के साथ वार्षिक उत्सव की शुरुआत की गई।
       पीठाधीश्वर स्वामी रंगनाथचार्य रामानुज कोट ने बताया कि गीता रूपी ज्ञान गंगोत्री में स्नान कर अज्ञानी व्यक्ति भी ज्ञान को प्राप्त करता है,गीता ऐसा ग्रंथ है जिससे धर्म शास्त्र का ज्ञान मिलता है इस ग्रंथ में समस्त धर्म शास्त्रों के सामान एकत्रित ज्ञान विराजित है, गीता ग्रंथ को मां क्यों कहा जाता है इस पर विस्तार से बताया कि (माता) मां जैसे अपने बच्चे को स्नेह लाड़ दुलार देती है वेसे ही गीताजी भी बच्चों में संस्कृति का ज्ञान शिक्षा देती है उसी तरह गीता भी महानता के शिखर संस्कृति सिखाती है, मनुष्य को संस्कृति के ज्ञान एवं अनुशासन के प्रति कटिबद्ध होने का रास्ता मिलता है।
समारोह में विशेष रूप से उपस्थित
       इस मौके पर प्रमुख रूप से अतिथ डॉक्टर देवकरण शर्मा संचालक कृषि गुरुकुल उज्जैन, विशिष्ट अतिथि स्वामी श्री रामश्रम महाराज खारपा,विशेष अतिथि नारायण प्रसाद उपाध्याय तीर्थ पुरोहित उज्जैन सहित
गीता स्वाध्याय मंडल के अध्यक्ष घनश्याम भिलाला, दिनेशचंद्र नागर,दामोदर बरोंज,मोहनलाल मालाकार,गिरिराज मंडलोई,सीताराम मालाकार,श्याम राठौर, सत्यनारायण गुप्ता,दीपक सेन,राजेश जोशी,रूपचंद, उमेश शर्मा,नरवर सिंह, कैलाश पवांर, मांगीलाल सेन, मधुसूदन शर्मा पटवारी,प्रमोद दुबे,सिद्धनाथ राठौर,संजय दुबे सहित गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
फोटो:-संलग्न

 

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