हमारी आज की जीवन शैली में सुकून से ज्यादा हमें मानसिक तनाव और अवसाद देखने को मिलता है। ऐसे में ध्यान और योग को लोगों ने आज की जीवनशैली में अपनाया है। लेकिन अक्सर हम अपने व्यस्त क्रियाकलापों के कारण न ही ठीक से योग कर पाते हैं और न ही ध्यान।

ऐसी परिस्थिति से निपटने के लिए मौन व्रत धारण करना भी एक उपाय है। मौन व्रत अक्सर ऋषि मुनियों या साधु संतों से जोड़कर देखा जाता है। यह भारतीय समाज में एक बहुत ही सामान्य प्रथा रही है। प्राचीन काल में संतों ने जीवन में मौन के मूल्य को समझा। वे उस शक्ति को समझते थे जिसमें वे अपनी वाणी को नियंत्रित कर सकते थे। मौन साधना या व्रत कर लिए यह ज़रूरी नहीं है कि इसलिए कई महीने या साल के अभ्यास की आवश्यकता है। यहां मौन व्रत का मतलब सिर्फ शांत या चुप रहने से नहीं है बल्कि यह एक प्रकार की साधना है जिसमें आप अपनी शक्ति के नियंत्रण के बारे में सीखते हैं। कई लोग इसे विपासना से जोड़कर भी देखते हैं। चलिए जानते हैं मौन व्रत की विधि और से होने वाले लाभ के बारे में-

कैसे रखें मौन व्रत
जैसा कि आपको पहले बात चुके हैं कि मौन व्रत का हमारी भारतीय संस्कृति में बहुत महत्व है। हालांकि इस व्रत के लिए कोई भी विशेष विधि नहीं है फिर भी ससप ईद व्रत को किसी भी समय से शुरु कर सकते हैं। आप आरंभ में इसे 1 दिन से शुरू कर सकते हैं और इसके बाद अपनी क्षमता अनुसाए इसकी समय सीमा बढ़ा सकते हैं।

मौन व्रत के लाभ

विचारों और शब्दों पर नियंत्रण: विचारों को शब्दों में और शब्द को ध्वनियों में बदलने की अनुमति न देकर, हम समय के साथ अपनी विचार प्रक्रियाओं पर बेहतर नियंत्रण करना सीख सकते हैं। जब हमारे विचारों को हम नियंत्रित करना सीख लेते हैं, तो स्वयं ही महत्वपूर्ण और अमूल्य विचारों को हम अपने मस्तिष्क या मन में प्रवेश करने की अनुमति देते हैं।

आत्मनिरीक्षण और आंतरिक शांति: मौन व्रत धरण करने से हम आत्मनिरीक्षण करने में सक्षम होते हैं और अपनी आंतरिक शांति की ओर ध्यान केंद्रित करते हैं। अपने विचारों को एक निश्चित अवधि के लिए बाहरी रूप से व्यक्त नहीं करने देने का सचेत विकल्प हमें स्वयं को गहराई में जानने में मदद करता है और साथ हीई आंतरिक शांति प्राप्त करने की दिशा में भी अग्रसर होता है।

क्रोध पर नियंत्रण: आपके आसपास बहुत से ऐसे लोग होंगे जो आपका दिल दुखाकार आपको नकारात्मक ऊर्जा से ग्रसित कर देते हैं जिसके परिणाम स्वरूप क्रोध का जन्म होता है और ये क्रोध आपके व्यवहार पर हावी हो जाता है। क्रोध एक ऐसी भावना है जिस पर नियंत्रण पाना बहुत से व्यक्तियों के लिए कठिन होता है। मौन व्रत के माध्यम से, कोई भावनात्मक आवेगों पर प्रतिक्रिया करना बंद कर देता है, वे उनकी उत्पत्ति का विश्लेषण करना सीखते हैं। मौन व्रत की मदद से व्यक्ति अपनी भावनाओं को बेहतर ढंग से समझता है और भावनाओं पर नियंत्रण करने में सक्षम होता है।

अपनी ऊर्जा को व्यर्थ व्यय होने से बचाना: इस बात को वो लोग बहुत अच्छे से समझ सकते हैं जो अंतर्मुखी स्वभाव के हैं। हम अपने दैनिक जीवन में बहुत सारी ऊर्जा सिर्फ अपने विचारों को लोगों तक पहुँचाने में व्यय कर देते हैं। यदि हम शांत रहकर अंतर्वैयक्तिक संचार में स्वयं को शामिल होने की अनुमति नहीं देते हैं तो हम अपनी ऊर्जा को बचाते हैं।

परिष्कृत व्यक्तित्व: मौन को एक कला माना गया है और जो इसके उपयोग को समझता है वह जीवन के सभी क्षेत्रों में सम्मानित होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि मौन हमें आधार बनाता है और हमें अधिक शांत और केंद्रित व्यक्तित्व प्राप्त करने में मदद करता है। मौन व्रत मददगार साबित हो सकता है।
मौन वास्तव में स्वर्ण आभा प्रदान करता है इसके अभ्यास से होने वाले लाभ इससे भी कहीं अधिक हैं। इसे अपने लिए आज़माएं, आप कभी नहीं जान पाएंगे कि मौन की आवाज़ों का पता लगाने पर आपको क्या मिलेगा।