सारंगपुर। शनिवार को अमावस्य पर सूर्य और चंद्र एक ही राशि में भ्रमण करते हैं मंगल सूर्य और चंद्र से शत्रुता मानी जाती है ज्योतिषियों के मताअनुसार शनिवार को होने से शनिचरी अमावस्या मानी गई। यहां पर्व जनमानस के लिए शुभ है शुक्रवार व शनिवार की मध्य रात्रि से सारंगपुर में स्थिति मां कालीसिंध नदी तट पर स्नान पर्व श्रृद्धालुओं की अपर भिड ने स्नान कर भूतभावन बाबा कपिलेश्वर व नवग्रह देव की पूजा अर्चना कर कपिलेश्वर गौ शाला मे गौमाताओं को हरा घास खिलाया।पंडित ब्रजकिशोर पवन पारीक के अनुसार शनिचरी अमावस्या को चंद्र दर्शन नहीं होते हे तथा तिथियों में इस तिथि के स्वामी पित् होते हैं इसलिए इस तिथि पर कोई भी शुभ कर्म करना शुभ नहीं माना जाता है यह तक की मजदूर वर्ग भी इस दिन काम बंद रखते हैं चंद्रमा की शक्ति प्राप्त नहीं होने के कारण शरीर में जल तत्व का संतुलन ठीक नहीं रहता है इससे निर्णय सही नहीं हो पाते श्री पारीक ने बताया है कि अमावस पितरों के स्वामित्व की तिथि है पितरों का निवास चंद्र के पुष्टि भाग रही है माना जाता है शनिवार को श्रृद्धालुओं ने पितरों के लिए तर्पण कर पवित्र नदि मां कालीसिंध में स्नान कर दान का लाभ लिया वहीं पितृ से परिवार में मंगल हो की कामनाएं की ।शनिचरी अमावस के दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में भ्रमण करते हैं।
कपिलेश्वर धाम पर लगा जमावड़ा श्रद्धालुओं का
कॉविड 19 के चलते व ओमी की तीसरी लहर के चलते शासन प्रशासन द्वारा शनिचरी अमावस्या को ध्यान में रखते हुए कपिलेश्वर धाम पर मां काली सिंध नदी के तट पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे आज काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने आस्था और विश्वास की डुबकी लगाकर अपने पितरों के पक्ष में तर्पण कर दान पुण्य किया वहीं श्रद्धालुओं द्वारा भूत भावन कपिलेश्वर महादेव के दर्शन व नवग्रह , हनुमान मंदिर मैं भी पूजा अर्चना कर कपिलेश्वर गौशाला पहुंचे जहां पर गायों के चरण वंदन कर हरे घास खिलाकर अपने पितरों से आशीर्वाद लेकर घर परिवार में मंगलमय हो ऐसी कामनाएं की। शुक्रवार व शनिवार की मध्यरात्रि से आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से श्रद्धालुओं का आना आरंभ हो गया था जो सुबह 12:00 बजे तक स्नान दान का यह क्रम चलता रहा
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