अमृतसर: महानगर की सड़कों पर गड्ढों की भरमार है। सर्दी का मौसम शुरू हो चुका है और टूटी सड़कों पर पैचवर्क करने के लिए तारकोल के प्लांट भी बंद हो गए हैं। साफ है कि कड़ाके की सर्दी के कारण अब जनवरी-फरवरी के बाद ही सड़कों का पुनर्निर्माण और मरम्मत का काम आरंभ हो पाएगा। धुंध और कोहरे के मौसम में सड़कों पर पड़े ये गहरे गड्ढे हादसों का कारण बनेंगे। तड़के बाहरी इलाकों में तो कोहरा पड़ना भी शुरू हो गया है। ऐसे में जिला प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस की ओर से हादसों को रोकने के लिए अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है। अगर आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो सड़कों पर गड्ढों के कारण पिछले एक साल में 18 लोगों की जान जा चुकी है और 58 लोग जख्मी हुए हैं। किसी बड़े हादसे के बाद जिला प्रशासन हरकत में आता है, लेकिन इसके कुछ दिन बाद हालात फिर जस के तस हो जाते हैं। रिगो ब्रिज पर हर तीन महीने बाद गड्ढे पड़ने हो जाते हैं शुरू इधर, भंडारी पुल के बाद रिगो ब्रिज शहर की दूसरी लाइफलाइन है, जो शहर को बाहरी इलाकों से जोड़ते हैं। हर तीन महीने के बाद रिगो ब्रिज के ऊपर बड़े-बड़े गड्ढे पड़ने शुरू हो जाते हैं। इससे वाहन रेंग-रेंग कर चलते हैं और गढ्डी की वजह से चालकों को अधिक परेशानी होती है। सर्दियों में तो इस बार लोगों को और परेशान होना पड़ेगा। टूटी सड़कों के कारण यहां कई बार हादसे हो चुके हैं। शहर के पाश इलाकों में भी हालत खराब
इसके अलावा पाश कालोनी रंजीत एवेन्यू बी ब्लाक, बस अड्डा चौक, सुल्तानविड रोड पर कई जगहों पर बड़े गड्ढे देखे जा सकते हैं। बरसात के दिनों में तो यहां पानी भर जाता है और वाहन चालक को गड्ढे के बारे में पता ही नहीं चल पाता और वह नजर भी नहीं आते। कैंटोनमेंट चौक, छेहरटा, धक्का कालोनी, गुरु बाजार, करमो ड्योढ़ी, शेरांवाला गेट में इस तरह के गड्ढे देखे जा सकते हैं
अक्तूबर 2017 में बटाला रोड पर चल रहे बीआरटीएस प्रोजेक्ट के तहत बीस फुट गहरा गड्ढा खोदा गया था। रात को अंधेरे के कारण एक बाइक सवार की गड्ढे में गिर जाने से मौत हो गई थी। प्रशासन ने रात के समय गड्ढे के चारों तरफ किसी तरह की बेरिगेडिग नही की थी। चार साल में गड्ढों के कारण 44 की मौत हुई,साल 2018 में 09, साल 2019 में 13 और साल 2020 में 4 लोगों की सड़क पर हुए गड्ढों में गिर जाने से मौतें हुई है। जबकि साल 2021 में 26 लोगों की जान गई और 58 लोग जख्मी भी हुए। सड़कों पर दिखाई देने वाले गड्ढों को लेकर उनके मुलाजिम सजग रहते हैं। कभी भी जहां पर हादसा होने का खतरा अधिक रहता है तो गड्ढों के बारे में नगर निगम को सूचित किया जाता है। यही नहीं उनकी टीम लगातार मामले को फालो भी करती है।
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