प्राचार्य डॉ. एनएल गुप्ता के मार्गदर्शन में कार्यरत शहीद भीमा नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बड़वानी के स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन प्रकोष्ठ द्वारा आज स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी के योगदान से युवाओं को रूबरू करवाया गया।
डॉ. मधुसूदन चौबे ने कहा कि 25 दिसम्बर, 1924 से 16 अगस्त, 2018 तक 93 वर्ष, 07 माह और 23 दिनों की दीर्घ एवं सार्थक जिन्दगी में अटलजी के व्यक्तित्व के कई आयाम रहे। वे कवि, पत्रकार, चिंतक, प्रखर वक्ता, राजनीतिज्ञ, प्रशासक थे। 1924 से आज तक उनका व्यक्तित्व और कृतित्व इतना उज्ज्वल रहा है कि पूरा देष उनसे प्रेम करता है। वे तीन बार देष के प्रधानमंत्री बने। पोखरण में परमाणु परीक्षण हो या कारगिल में पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब देना हो या संयुक्त राष्ट्र संघ के अधिवेशन में सर्वप्रथम हिन्दी में भाषण देने का गौरवषाली क्षण हो या स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के माध्यम से देष के महानगरों को सड़कों से जोड़कर समग्र विकास का महत्वाकांक्षी लक्ष्य प्राप्त करने की बात हो अटलजी हर अवसर पर दृढ़ दिखे और सफल रहे। 2015 में उन्हें भारत रत्न के सम्मान से विभूषित किया गया। वे उत्कृष्ट कोटि के कवि थे। डॉ. चौबे ने अटलजी की कवितां दुनिया का इतिहास पूछता रोम कहां यूनान कहां है सुनाई। आयोजन में सहयोग प्रीति गुलवानिया, किरण वर्मा, राहुल मालवीया, राहुल वर्मा, अंकित काग, दीक्षा चौहान, उमा फूलमाली, राहुल भंडोले, राहुल सेन ने दिया।
डॉ. मधुसूदन चौबे ने कहा कि 25 दिसम्बर, 1924 से 16 अगस्त, 2018 तक 93 वर्ष, 07 माह और 23 दिनों की दीर्घ एवं सार्थक जिन्दगी में अटलजी के व्यक्तित्व के कई आयाम रहे। वे कवि, पत्रकार, चिंतक, प्रखर वक्ता, राजनीतिज्ञ, प्रशासक थे। 1924 से आज तक उनका व्यक्तित्व और कृतित्व इतना उज्ज्वल रहा है कि पूरा देष उनसे प्रेम करता है। वे तीन बार देष के प्रधानमंत्री बने। पोखरण में परमाणु परीक्षण हो या कारगिल में पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब देना हो या संयुक्त राष्ट्र संघ के अधिवेशन में सर्वप्रथम हिन्दी में भाषण देने का गौरवषाली क्षण हो या स्वर्णिम चतुर्भुज योजना के माध्यम से देष के महानगरों को सड़कों से जोड़कर समग्र विकास का महत्वाकांक्षी लक्ष्य प्राप्त करने की बात हो अटलजी हर अवसर पर दृढ़ दिखे और सफल रहे। 2015 में उन्हें भारत रत्न के सम्मान से विभूषित किया गया। वे उत्कृष्ट कोटि के कवि थे। डॉ. चौबे ने अटलजी की कवितां दुनिया का इतिहास पूछता रोम कहां यूनान कहां है सुनाई। आयोजन में सहयोग प्रीति गुलवानिया, किरण वर्मा, राहुल मालवीया, राहुल वर्मा, अंकित काग, दीक्षा चौहान, उमा फूलमाली, राहुल भंडोले, राहुल सेन ने दिया।
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