हिन्दू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी कहते है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मोक्षदा एकादशी मोक्ष दिलाने वाली एकादशी है। कहते हैं इस एकादशी के व्रत से न केवल मोक्ष मिलता है बल्कि जन्मों जन्मों के पाप भी धुल जाते हैं। इसलिए बाकी सभी एकादशियों में इसे श्रेष्ठ माना गया है। कुरुक्षेत्र के युद्ध में जब भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया, उस दिन मोक्षदा एकादशी ही थी। इसलिए इस दिन गीता जयंती मनाई जाती है।
कब है मोक्षदा एकादशी?
मोक्षदा एकादशी 14 दिसंबर 2021 मंगलवार के दिन पड़ रही है।
मोक्षदा एकादशी शुभ मुहुर्त
एकादशी तिथि - 13 दिसंबर सोमवार की रात 09 बजकर 32 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त - 14 दिसंबर को रात 11 बजकर 35 मिनट तक
पारण (व्रत तोड़ने का) समय - 15 दिसंबर को सुबह 07:06 से सुबह 09:10 बजे तक
मोक्षदा एकादशी व्रत विधि
सुबह स्नान के बाद आसन बिछाकर व्रत का संकल्प लें
घर के मंदिर में गंगाजल छिड़ककर उसे पवित्र करें
भगवान विष्णु को स्नान करवाने के बाद उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं
फिर कथा श्रवण करें और दिन भर व्रत रखें
इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है
अगले दिन नहा धोकर, पूजा के बाद ही व्रत का पारण करें
मोक्षदा एकादशी का महत्व
मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही भगवान श्रीकृष्ण ने अजुर्न को गीता का उपदेश दिया था, इसलिए मोक्षदा एकादशी का महत्व और बढ़ जाता है। हिंदू धर्म में गीता को पवित्र ग्रंथ माना गया है। गीता में 18 अध्यायों में व्यक्ति के जीवन का संपूर्ण सार बताया गया है। साथ ही, इसमें धार्मिक, कार्मिक, सांस्कृतिक और व्यहवाहरिक ज्ञान भी दिया गया है। मान्यता है कि मोक्षदा एकादशी के दिन गीता का अध्ययन और अनुसरण करने से व्यक्ति की दिशा और दशा दोनों ही बदल जाते हैं। मोक्षदा एकादशी के दिन गीता जयंती के उपलक्ष्य में देश के कई जगहों पर गीता मेले का आयोजन किया जाता है।
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