नई दिल्ली । केंद्र की मोदी सरकार की ओर से कृषि कानूनों को वापस ले लिया गया है। हालांकि, कृषि कानूनों के विरोध में अलग-अलग किसान संगठनों ने पिछले 1 साल से आंदोलन जारी रखा था। कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के बाद इस किसान संगठनों की जीत बता रहे है। लगातार किसान संगठनों की एकता की बात की जा रही है। किसान संगठनों की एकता को मजबूत रखने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा का भी गठन किया गया। हालांकि ऐसा लगता है कि कहीं ना कहीं किसान संगठनों की एकता में कोई ना कोई गांठ जरूर है। तभी संयुक्त किसान मोर्चा के दर्शन पाल ने भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत को जिम्मेदारी से बयान देने की सलाह दे दी है। दर्शन पाल के मुताबिक टिकैत को जिम्मेदारी के साथ बयान देने की जरूरत है, ताकि आंदोलन में एकता बनी रहे।
इसके अलावा दर्शन पाल ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा में किसान नेताओं को अपने मतभेद खत्म करने की जरूरत है। किसान नेताओं को एक तरह की बयान देने की जरूरत है। अलग-अलग तरह के बयान देने से बचना चाहिए। दर्शन पाल का यह बयान उस समय में आ रहा है जब संयुक्त किसान मोर्चा में मतभेद की खबरें सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि पंजाब और हरियाणा के कुछ किसान संगठन लगातार आंदोलन खत्म करने के पक्ष में है, वहीं राकेश टिकैत आंदोलन जारी रखना चाहते हैं। इतना ही नहीं, ज्यादातर किसान संगठनों ने सरकार का धन्यवाद किया है,तब  टिकैत लगातार मोदी सरकार के खिलाफ हमलावर दिखाई दे रहे हैं। इतना ही नहीं, जब टिकैत से आंदोलन खत्म करने को लेकर सवाल हुआ, तब उन्होंने साफ कह दिया कि जो किसान नेता पहले घर जाएगा, वही जेल जाएगा।


हाल में ही राकेश टिकैत ने कहा कि 4 तारीख को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक है,इससे पहले भारत सरकार हमसे एमएसपी, किसानों पर हुए मुकदमे, किसानों की मौत पर बातचीत करें। हमारा आंदोलन अभी खत्म नहीं हुआ है। वहीं दर्शन पाल ने कहा कि बुधवार को 32 किसान संगठन और वे लोग जो सरकार के साथ बातचीत के लिए जाते थे, उनकी बैठक बुलाई गई है। ग़लती से घोषणा हो गई कि संयुक्त किसान मोर्चे की बैठक है। हमारे लोगों के खिलाफ दर्ज़ मामलों, एमएसपी की कमेटी के मुद्दे पर चर्चा होगी।