बिलासपुर । भाजपा नेता व पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को सोशल मीडिया में खुला पत्र लिखकर राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से हो रही भर्ती परीक्षा में सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों के साथ स्थानीय निवासी की आयु सीमा  छूट में ,कटौती किए जाने को अन्याय पूर्ण बताते  पुन: छूट को बहाल करने के लिए  हुए अपील की है।  श्री अग्रवाल ने  ट्वीट कर जारी पत्र में कहा है कि राज्य सेवा भर्ती परीक्षा नियम अनुसार लोक सेवा में नियोजन के लिए   2016 से ही  छ ग सरकार के द्वारा 40 वर्ष की आयु की सीमा तक राज्य के निवासियों को अवसर प्रदान किया गया था,जिसे 30 जनवरी 2019 के छत्तीसगढ़ सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी सर्कुलर के द्वारा राज्य के निवासियों के लिए 40 वर्ष तक परीक्षा में शामिल होने के लिए मूल प्रावधान कर दिया गया है। श्री अग्रवाल ने कहा इन दिनों लोक सेवा परीक्षा 2021  के लिये सीजी पी एस सी  द्वारा 171 पदों के लिए जारी विज्ञापन ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया में है जिसमे  छत्तीसगढ़ के मूलनिवासी शासकीय सेवकों को स्थानीय निवासी के 5 वर्ष की छूट उच्च आयु सीमा में त्रुटिपूर्ण गणना किये जाने से पूर्व के वर्षों में लागू नियम अनुसार सामान्य वर्ग के शासकीय सेवकों के आवेदन मूलनिवासी होने के बाद भी 38 वर्ष की आयु सीमा के बाद स्वीकार नहीं किए जा रहे हैं जबकि छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा जारी  राज्य सेवा परीक्षा नियमों के अनुसार राज्य के स्थानीय निवासियों को 40 वर्ष की आयु तक राज्य सेवा परीक्षा में शामिल होने की पात्रता है।
श्री अग्रवाल ने मुख्यमंत्री बघेल को जारी पत्र में  कहा कि अधिकारियों के द्वारा नियमों की गलत व्याख्या किए जाने से  छत्तीसगढ़ में पैदा हुए सामान्य शासकीय सेवकों को छत्तीसगढ़ के स्थानीय निवासी की छूट से मिली आयु सीमा से वंचित किया जा रहा है, उनकी आयु सीमा की गणना अन्य राज्यों के सामान्य आवेदकों की भर्ती की जा रही है। मालूम हो कि छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों को राज्य सेवा भर्ती परीक्षा में शामिल होने के लिए  उच्च आयु सीमा 35 वर्ष में 5 वर्ष की छूट प्रदान की गई है, स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ का निवासी 40 वर्ष की आयु तक राज्य सेवा भर्ती परीक्षा में शामिल हो सकता है। शासकीय सेवकों के लिए पूर्व में 35 वर्ष में 3 वर्ष आयु सीमा  छूट रही थी,मूल निवासी को आयु सीमा घोषित छूट के साथ मूल निवासी शासकीय सेवकों को  40 +3 943 वर्ष गणना में स्वाभाविक  रूप से परीक्षा में शामिल  किया जाना चाहिए ,इसके उलट मूल निवासी शासकीय सेवक जो सामान्य वर्ग से हैं उन्हें 38 साल के ऊपर परीक्षा देने से रोका जा रहा है,उन्हें छूट देने की बजाय उच्च आयु सीमा में कटौती की जा रही है। भर्ती नियम के अनुसार अन्य प्रकार की छुटो को जोड़कर भी राज्य सेवा में  नियोजन हेतु प्रावधान किए गए हैं, कुल छूट 45 वर्ष से अधिक नहीं होना चाहिए।
38 वर्ष की आयु सीमा में छत्तीसगढ़ के मूलनिवासी शासकीय सेवक को आवेदन से रोककर अघोषित रूप से 39 वर्षों से लेकर 45 वर्ष की आयु तक के विभिन्न प्रकार की छूट के पात्रता धारी आवेदकों को परीक्षा में शामिल होने से वंचित किया जा रहा है। लोक सेवा आयोग के हेल्पलाइन ठप्प हो चुकी है पुराने नियमों का हवाला देकर के परीक्षार्थियों को परेशान किया जा रहा है। पिछले दिनों प्रोफेसर की भर्ती में भी स्थानीय निवासियों के लिए निर्धारित आयु सीमा में छेड़छाड़ का मामला सामने आने के बाद परीक्षा को स्थगित कर दिया गया था। पिछले वर्ष भी लोकसेवा 2020  की परीक्षा में भी पोर्टल में गड़बड़ी की वजह से विभिन्न प्रकार की छूट के पात्र अभ्यर्थी आवेदन नहीं कर पा रहे थे,जिसका विरोध होने पर सुधार किया गया था। श्री अग्रवाल ने सोशल मीडिया  फेसबुक और ट्विटर में खुले पत्र के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं सामान्य प्रशासन विभाग से अपील की है कि लोक सेवा आयोग भर्ती एजेंसी को तत्काल नियमों के संबंध में भ्रम की स्थिति से आवश्यक निराकरण कर युवाओं के हितों  की अनदेखी को दूर करते हुए राज्य के अन्य सभी मूल निवासियों की तरह शा सेवको की उच्चतर आयु सीमा में 5 वर्ष की छूट की गणना,आवेदन में की जाए एवं नियमानुसार अन्य प्रकार की छूट भी दी जाए ताकि ऐसे प्रतियोगी छात्र जो निम्न पदों में नियोजित होकर उच्चतर पदों के लिए प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करते हैं उनके हितों का समान रूप से संरक्षण हो सके। उन्होंने कहा कि भर्ती परीक्षा नियम में कहीं भी यह नहीं लिखा हुआ है कि राज्य के मूल निवासी जो सरकारी सेवा में आ चुके हैं उन्हें डोमोसाइल के आधार पर मिलने वाली 5 वर्ष की छूट नहीं दी जाएगी। अतएव तत्काल इस विषय पर  आवश्यक निर्णयन कर आवेदन की अंतिम तिथि 31 दिसंबर में बढ़ोतरी करते हुए सभी युवाओं को फार्म भरने का  समुचित अवसर दिया जाना चाहिए।
मालूम हो श्री अग्रवाल ने कुछ दिनों श्री अग्रवाल ने शासन से यह मांग रखी थी कि शासकीय सीधी भर्ती के बाद स्टाइपेंड वेतन की जगह पूर्णकालिक वेतनमान देना चाहिए और चयनितों की परिवीक्षा की अवधि को अकारण एक साल बढ़ाए जाने के निर्णय को वापस लेते हुए,केंद्र व अन्य राज्यो की तरह शासकीय कर्मियों को  लंबित 14-17त्न डी ए का भुगतान करना चाहिए ताकि  छत्तीसगढ़ राज्य के  युवाओं कर्मियों के हितों का संरक्षण हो सके।