
भोपाल । भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने गोल्ड ज्वेलरी पर गत 16 जून से हॉलमार्किंग अनिवार्य कर दी थी। इसके बाद सराफा कारोबारियों ने हॉलमार्क ज्वेलरी के लाइसेंस लेना शुरू कर दिए थे। 30 नवंबर को रजिस्ट्रेशन की डेडलाइन पूरी होने के बाद अब ज्वेलर्स बिना होलमार्क की ज्वेलरी नहीं बेच सकेंगे। बता दें कि देशभर में अभी तक 1 लाख 16 हजार 642 सराफा कारोबारियों ने हॉलमार्क रजिस्ट्रेशन करा लिए हैं। प्रदेश में करीब लगभग 8 हजार कारोबारियों में से 1500 ने हॉलमार्क पंजीयन लिए होंगे।
बीआईएस की ओर से इसकी अंतिम तिथि 30 नवंबर तय की थी, इसके साथ ही ज्वेलरी के स्टॉक डिक्लेरेशन की अंतिम तारीख भी यही रखी गई थी। एक दिसंबर के बाद अब बीआइएस के अधिकारी देश के 256 जिलों में रजिस्ट्रेशन करा चुके ज्वेलर्स की जांच-पड़ताल कर सकेंगे। इसके साथ ही बीआईएस के अधिकारी ऐसे कारोबारियों की भी जांच करेंगे, जिन्होंने अपना टर्नओवर 40 लाख रुपए से कम बताया है। दोषी पाए जाने पर वीआईएस कड़ी कार्रवाई भी कर सकेगा।
अभी भी बिक रही पुरानी ज्वैलरी
एक ओर जहां हॉलमार्क ज्वेलरी अनिवार्य कर दी है, वहीं पुरानी ज्वेलरी शहर में अभी भी कई ज्वेलर्स चोरी-छिपे पुरानी यानी बगैर हॉलमार्क की ज्वेलरी की बिक्री रहे हैं, जो कि बीआईएस के नियमों के मुताबिक गलत है। ये वो कारोबारी है, जिनके पास पुराना स्टॉक अभी भी मौजूद है और इसे गलाने से उन्हें सोना नुकसान होने का डर है।
अनिवार्य है हॉलमार्किंग
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