प्रदेश में काष्ठ आधारित उद्योगों को स्थापित करने और काष्ठ शिल्पियों को स्व-रोजगार के अधिकाधिक अवसर उपलब्ध कराने के लिए राज्य शासन ने एक बड़ा कदम उठाया गया है। वन मंत्री डॉ. कुँवर विजय शाह ने मध्यप्रदेश काष्ठ चिरान (विनिमयन) अधिनियम 1984 की धारा 4 में हुए संशोधन को ऐतिहासिक बताया है। वन मंत्री डॉ. शाह ने बताया कि अधिनियम में किए संशोधन के बाद काष्ठ आधारित व्यवसायिक गतिविधियाँ बढ़ेगी, जिससे सरकार को मूल्य संवर्धन और जी.एस.टी से अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हो सकेगा। निजी क्षेत्रों के किसान वृक्षारोपण के लिए प्रोत्साहित होने के साथ ही उनकी आय में भी बढ़ोत्तरी होगी। उन्होंने बताया कि प्रदेश की 30 फीसदी वन भूमि है, जिनमें काष्ठ उत्पादन गतिविधियों से वनवासियों को रोजगार के साथ राज्य सरकार को 800 करोड़ की आय और 160 करोड़ की जी.एस.टी भी प्राप्त होता है। यह रहेगी छूट काष्ठ चिरान अधिनियम की धारा-4 में हुए संशोधन के बाद अब 30 से.मी. से कम व्यास के चक्रीय आरा-मशीन के लिए लायसेंस लेना आवश्यक नहीं रहेगा। छोटे शिल्पियों को काष्ठ की फिनीशिंग और फैशनिंग में उपयोग करने के लिए वन विभाग से लायसेंस लेने की जरूरत नहीं होगी। चिरी हुई लकड़ी, बेंत, बाँस, प्लायबुड, विनियर या आयातित लकड़ी इस्तेमाल करने वाले उद्योगों को लायसेंस लेने की आवश्यकता नहीं होगी। साथ ही प्र-संस्करण संयत्रों को इस अधिनियम में किए बदलाव के बाद अनुज्ञप्ति लेने की छूट रहेगी। |
काष्ठ आधारित उद्योग लगाना होगा अब आसान:- वन मंत्री डॉ. शाह काष्ठ चिरान अधिनियम में हुआ जरूरी बदलाव
मंगलवार, दिसंबर 28, 2021
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