नई दिल्ली । देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनकी फ्रांसीसी समकक्ष फ्लोरेंस पार्ली ने विभिन्न मुद्दों पर व्यापक बातचीत की। इस चर्चा में अफगानिस्तान का घटनाक्रम, पाकिस्तान से सीमापार आतंकवाद, चीन के साथ भारत के सीमा विवाद के मुद्दे शामिल होने के साथ-साथ द्विपक्षीय रणनीतिक रिश्तों को आगे बढ़ाने पर मंथन किया गया। सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि भारत-फ्रांस वार्षिक रक्षा वार्ता का एक अहम हिस्सा मेक इन इंडिया पहल और कैसे फ्रांसीसी कंपनियां भारतीय कंपनियों के साथ सहयोग कर सकती हैं या देश में अपने दम पर उत्पादन कर सकती हैं, इस पर ‘गहन’ चर्चा रही। पार्ली दो दिन की यात्रा पर गुरुवार शाम दिल्ली पहुंची। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल से मुलाकात की।
सिंह के बातचीत से पहले, पार्ली ने कहा कि अगर भारत को जरूरत होगी तो फ्रांस उसे अतिरिक्त राफेल लड़ाकू विमान उपलब्ध कराने के लिए तैयार है और उनका देश मेक इन इंडिया पहल का समर्थन करने और भारतीय निर्माताओं को अपनी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में और एकीकृत करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। फ्रांस के साथ भारत का 59,000 करोड़ रुपए में 36 राफेल खरीदने के लिए अंतर-सरकारी समझौता सितंबर 2016 में हुआ था, जिसके तहत 33 राफेल लड़ाकू विमानों की आपूर्ति की जा चुकी है। माना जाता है कि फ्रांसीसी पक्ष ने वार्ता के दौरान भारत को और अधिक राफेल विमानों की आपूर्ति करने की इच्छा व्यक्त की है। वार्ता को उत्कृष्ट बताते हुए सिंह ने कहा कि भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी आज पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है।
सिंह ने ट्वीट किया, 'भारत-फ्रांस की रणनीतिक साझेदारी आज पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है। मेरी फ्रांसीसी समकक्ष फ्लोरेंस पार्ली के साथ उत्कृष्ट बैठक हुई। आज वार्षिक रक्षा वार्ता में द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और रक्षा औद्योगिक सहयोग के व्यापक मुद्दों पर चर्चा की।' रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सिंह और पार्ली ने दोनों देशों के बीच भविष्य के सहयोग तथा सह-उत्पादन पर केंद्रित रक्षा औद्योगिक सहयोग पर चर्चा की। बयान में कहा गया है, 'दोनों नेताओं ने रणनीतिक तथा रक्षा संबंधी अनेक मुद्दों पर अपनी सहमति व्यक्त की।उन्होंने द्विपक्षीय, क्षेत्रीय तथा बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई।' सूत्रों ने बताया कि चर्चा में जिन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया, उनमें एयरोस्पेस क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना शामिल रहा और दोनों पक्षों ने अपने साझा दृष्टिकोण के साथ सेना के विस्तार की जरूरतों को रेखांकित किया।
फ्रांसीसी राजदूत एमैनुएल लेनिन ने कहा कि डोभाल के साथ पार्ली की मुलाकात प्रमुख क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों पर विचारों के महासम्मिलन और आतंकवाद का मुकाबला करने और अफगानिस्तान की स्थिति पर करीब से समन्वय करने की साझा इच्छा को दिखाता है। सूत्रों ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ भारत का सीमा विवाद, पाकिस्तान की ओर से सीमा पार आतंकवाद और अफगानिस्तान की स्थिति पर समान चिंताओं को वार्ता में प्रमुखता से रखा गया। हिंद महासागर क्षेत्र की स्थिति और भारत-फ्रांस समुद्री सहयोग के विस्तार के तरीकों पर भी व्यापक चर्चा हुई।
मंत्रालय ने बताया, 'मंत्रियों ने दोनों देशों की सेनाओं के बीच मौजूदा सहयोग की समीक्षा की, जो महामारी की चुनौतियों के बावजूद बढ़ा है।' उसने कहा कि दोनों नेताओं ने सभी क्षेत्रों में रक्षा सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की। प्रधानमंत्री मोदी के साथ पार्ली के मुलाकात के बाद, लेनिन ने कहा कि दुनिया में अस्थिरता बढ़ने के बीच, फ्रांस भारत को एक प्रमुख शक्ति के रूप में देखता है। साथ में बहुध्रुवीय व्यवस्था बनाने, कानून के शासन की रक्षा करने और वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए एक साझेदार के रूप में भी भारत को देखता है। लेनिन ने बताया कि उन्होंने राष्ट्रीय समर स्मारक पर भारत के बहादुर सैनिकों को भी श्रद्धांजलि दी और सीडीएस जनरल बिपिन रावत के दुखद निधन पर सशस्त्र बलों और भारत के लोगों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की। पार्ली ने एक थिंक टैंक में कहा कि भारत का जीवंत रंगों, प्रभावशाली परिदृश्यों और समृद्ध इतिहास वाली एक अनूठी भूमि के तौर पर उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि इस देश जैसा कोई और नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘मैं खुश हूं कि भारतीय वायुसेना राफेल विमानों से संतुष्ट है और हमें गर्व है कि कोविड-19 महामारी के बावजूद हमने करार के तहत समय पर 36 विमानों की आपूर्ति की यह उपलब्धि है।’ उन्होंने कहा, ‘एक ही तरह के विमान का उपयोग करना वास्तविक परिसंपत्ति और ताकत है। मैं निश्चिंत हूं कि नई संभावनाओं की गुंजाइश है। यदि भारत ने अतिरिक्त आवश्यकता व्यक्त की तो हम उसका जवाब देने को तैयार हैं।’ पार्ली ने कहा कि भारत और फ्रांस दोनों बहुपक्षवाद और नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बढ़ावा देते हैं।