नई दिल्ली । ओमिक्रोन के उभरते खतरे के बाद अब दुनियाभर में बूस्टर डोज की चर्चा जोर पकड़ने लगी है। विज्ञान पत्रिका लैंसेट में प्रकाशित नए अध्ययन में पाया गया है कि बूस्टर डोज सुरक्षित और प्रभावी है। साइड इफेक्ट के रूप में इंजेक्शन की जगह पर दर्द, मांसपेशियों में दर्द और थकान जैसे मामूली लक्षण ही पाए गए।
सात टीकों पर हुआ अध्ययन : यह अध्ययन एस्ट्राजेनेका, फाइजर- बायोएनटेक, नोवावैक्स, जेनसेन, माडर्ना, वाल्नेवा और क्योरवैक पर किया गया। इसके तहत एस्ट्रोजेनेका और फाइजर के टीके की दोनों डोज ले चुके लोगों को शामिल किया गया था। उनमें से प्रत्येक को बाकी छह टीकों में से कोई एक टीका बूस्टर डोज के तौर पर लगाया गया। इसके तहत ब्रिटेन में 2,878 लोगों पर एक से 30 जून, 2021 के बीच ट्रायल किया गया। इनमें 30 साल से अधिक उम्र के लोगों को शामिल किया गया था। आधे प्रतिभागियों की उम्र 70 साल या इससे ज्यादा थी। उम्र के हिसाब से बूस्टर के प्रभाव में विशेष अंतर नहीं पाया गया।
एस्ट्राजेनेका के टीके के बाद बूस्टर डोज ज्यादा असरदार : अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित टीके की दोनों डोज लगवा चुके लोगों में अलग-अलग वैक्सीन के हिसाब से बूस्टर डोज का असर 1.8 से 32.3 गुना तक ज्यादा पाया गया। फाइजर के मामले में 1.3 से 11.5 गुना तक ज्यादा असर देखने को मिला। भारत में आक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित टीके को कोविशील्ड के नाम से लगाया जा रहा है। फिलहाल विज्ञानियों ने इस संबंध में और लंबे शोध की जरूरत जताई है।
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