आगर-मालवा, 17 दिसम्बर/ शासकीय विधि महाविद्यालय आगर में दो दिवसीय राष्ट्रीय वर्चुअल वेबीनार का शुक्रवार को समापन हुआ। समापन के प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता सहायक प्राध्यापक विधि दिल्ली विश्वविद्यालय नई दिल्ली सुकन्या सिंघा ने आधारभूत अधिकारों को इंगित करते हुए कार्यस्थल पर भागीदारी एवं प्रताड़ना की समस्या पर प्रकाश डाला एवं न्यायपालिका द्वारा समय-समय पर जारी दिशा-’निर्देशों का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि समाज को अपना दृष्टिकोण बदलना होगा तभी लैंगिक असमानता दूर हो सकती है और महिलाओं को समानता के साथ-साथ अपने क्षेत्रों पर कार्य चुनने का अधिकार दिया जाना चाहिए।
मुख्य वक्ता प्राध्यापक राजनीति शास्त्र उच्च शिक्षा विभाग मध्यप्रदेश शासन डॉ ब्रह्मदेव अलूने ने अपने संबोधन में कहा कि लैंगिक असमानता अंतर-राष्ट्रीय समस्या है जैसे विश्व युद्ध के दौरान महिलाओं को जनसंख्या वृद्धि का माध्यम माना जाता था, अधिकार बहुत हैं परंतु धरातल पर, व्यवहारिक दृष्टि से उनका निष्पादन नहीं हुआ है। सभापति एवं प्राचार्य डा. रेखा गुप्ता ने अपने संबोधन में निष्कर्ष पर चर्चा करते हुए कहा कि महिलाओं को आरक्षण से अधिक समानता पर जोर देना चाहिए और अवसर उपलब्ध कराना चाहिए तभी आत्मनिर्भर भारत एवं महिला सशक्तिकरण की संकल्पना का सपना साकार होगा।
वेबीनार का सफल संचालन प्रोफेसर श्री सुदीप साकेत ने किया एवं तकनीकी सहायता में डा महेंद्र कुमार पटेल एवं श्री अनिल प्रजापति का रहा और अंत में कार्यक्रम के आयोजक सचिव प्रोफेसर श्री राजीव कुमार सिंह ने मुख्य वक्ताओं सहित महाविद्यालय स्टाफ का आभार एवं धन्यवाद प्रस्ताव पारित किया।
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