नई दिल्ली।

 नशीले पदार्थ की तस्करी के मामले में नौ साल से जेल में बंद एक आरोपित को बृहस्पतिवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने जमानत दे दी। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की एकल पीठ ने कहा कि नशीले पदार्थों का समाज पर हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है और इसके आर्थिक नुकसान से लेकर सामाजिक विघटन के रूप में व्यापक परिणाम महसूस किए जा सकते हैं। 

इस तरह का अपराध करने वाले किसी तरह की दया का पात्र नहीं होतेलेकिन कोर्ट सुनवाई में देरी के कारण जेलों में बंद आरोपितों की दुर्दशा को नजरअंदाज नहीं कर सकता। तेजी से सुनवाई सुनिश्चित किए बिना किसी को निजी स्वतंत्रता से वंचित करना संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। इस आधार पर आरोपित को जमानत दी जा रही है।

वर्ष 2012 में आरोपित को एनडीपीएस एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया था। 

उसके पास से नकली दस्तावेजों के साथ 151.980 किलो से अधिक केटामाइन हाइड्रोक्लोराइड बरामद हुआ था। उसे दिल्ली स्थित सिंडिकेट के लिए इस नशीले पदार्थ को मलेशिया भेजना था।

 अभियोजन ने दावा किया था आरोपित से पूछताछ के बाद ही गुलाब जल में घुले 300 किलो नशीले पदार्थ की दूसरी खेप भी बरामद की गई थी। इस मामले में जमानत के लिए आरोपित ने दिल्ली हाई कोर्ट में अर्जी दायर की थी।

उसकी अर्जी पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की एकल पीठ ने कहा कि नशीले पदार्थ की तस्करी से समाज को नुकसान पहुंच रहा है। ऐसे अपराध करने वालों पर दया नहीं की जा सकती। 

पीठ ने कहा कि इस मामले में आरोपित को एनडीपीएस एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया थाजिसमें न्यूनतम कैद की सजा दस वर्ष है। 

आरोपित पहले ही नौ साल जेल में न्यायिक हिरासत में बिता चुका है।

 ऐसे में बिना सजा सुनाए प्रक्रिया ही आरोपित के लिए सजा साबित हुई है। ऐसे में उसे जमानत दी जा रही है। पीठ ने आरोपित को पासपोर्ट कोर्ट में जमा कराने का निर्देश दिया है।

 साथ ही कहा कि वह कोर्ट की इजाजत के बिना दिल्ली से बाहर नहीं जा सकता।