भोपाल । प्रदेश में त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के नामांकन की प्रक्रिया सोमवार से शुरू हो गई है। निष्पक्ष चुनाव कराने को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने शासन को कुछ सिफारिशें की थी, लेकिन मंत्रालय के अफसरों ने आयोग की सिफारिशों पर अमल करना भी जरूरी नहीं समझा। आयोग ने चुनाव की घोषणा के पहले 3 साल से जिलों में पदस्थ तहसीलदार, नायब तहससीलदार, एसडीएम, पुलिस अफसर एवं पंचायत सचिव एवं सहायक सचिवों को हटाने की सिफारिश की थी, लेकिन संबंधित विभागों ने आयोग की सिफारिश को गंभीरता से भी नहीं लिया।
आयोग ने चुनाव की घोषणा से पहले तहसीलदार एवं नायब तहसीलदारों को हटाने की सिफारिश की थी। आयोग की सिफारिश पर अमल न करते हुए राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी ने राज्य निर्वाचन आयोग को इस आशय का जवाब भेजा कि इससे प्रशासनिक व्यवस्था बिगड़ जाएगी। इसके बाद राजस्व विभाग ने न पटवारियों को हटाया और न ही तहसीलदारों को दूसरे जिलों में भेजा गया। हालांकि जिलों में कलेक्टरों ने तहसलीलदार एवं नायब तहसीलदारों की तहसील बदल दी हैं। इसी तरह पुलिस अफसरों के भी तबादले चुनाव आयोग की सिफारिश पर नहीं किए गए हैं। पुलिस अफसरों को हटाने का जिम्मा गृह विभाग ने पुलिस मुख्यालय को दे दिया था।
...तो बदलेंगे आधे से ज्यादा पंचायत सचिव
राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव की घोषणा के तत्काल बाद ग्राम पंचायतों में 3 साल या उससे अधिक समय से पदस्थ पंचायत सचिव एवं सहायक सचिवों को हटाने की सिफारिश की थी। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने अभी तक चुनाव आयोग की इस सिफारिश पर एक भी पंचायत सचिव का तबादला नहीं किया गया है। जबकि सोमवार से पंचायत चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। चुनाव आयोग ने स्पष्ट कहा था कि निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए पंचायत सचिव एवं सहायक सचिवों का हटाना है। सूत्रों ने बताया कि पंचायत सचिव हटाने के लिए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने अभी तक कलेक्टरों को किसी तरह के दिशा-निर्देश नहीं दिए हैं। वहीं अफसरों का तर्क है कि यदि चुनाव आयोग की अनुशंसा पर सचिव एवं सहायक सचिवों को हटाना पड़ा तो फिर 55 फीसदी से ज्यादा पंचायतें प्रभावित होंगी। क्योंकि ज्यादातर पंचायतों में सचिव एवं सहायक सचिव सालों से जमे हैं।
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