काहिरा ।  मिस्र के शासक ने राजा जोसर (शासनकाल 2630 से 2611 ईसा पूर्व) के बीच पिरामिडों का निर्माण किया, जिन्होंने राजा अहमोस प्रथम (शासनकाल 1550 से 1525 ईसा पूर्व) के समय तक, सक्कारा में एक कदम पिरामिड का निर्माण किया, जिन्होंने मिस्र के एबाइडोस में आखिरी ज्ञात शाही पिरामिड का निर्माण कराया।
 ये पिरामिड एक तरह से शासकों की शक्ति, सम्पन्नता और उनकी धार्मिक मान्यताओं का प्रतीक रहे। लेकिन आखिरकार नई सत्ता के आने पर इन्हें बनाना बंद क्यों कर दिया गया। प्राचीन मिस्र में, अहमोस के शासनकाल के बाद पिरामिड का निर्माण कम होता चला गया। इतना ही नहीं शासकों को इसमें दफनाने की परंपरा भी खत्म होती चली गई। ऐसा स्पष्ट तो पता नहीं चला कि शासकों ने पिरामिडों के निर्माण को क्यों रोक दिया लेकिन यह बात सामने आई है कि ऐसा करने के पीछे सुरक्षा कारण हो सकते हैं।लक्सर की स्थलाकृति, जो न्यू किंगडम (1550 से 1070 ईसा पूर्व) के दौरान मिस्र की राजधानी बन गई, ने भी पिरामिड निर्माण को रोकने में अहम भूमिका निभाई सकती है।
ये भी कहा जाता है कि प्राचीन मिस्त्र की राजधानी बहुत छोटी रही होगी और नए पिरामिडों का निर्माण वहां पर वास्तुशिल्प रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता था।जबकि शासकों ने पिरामिड बनाना बंद कर दिया लेकिन इसे सिर्फ अमीर निजी व्यक्तियों ने जारी रखा।उदाहरण के लिए, एबाइडोस में एक 3,300 साल पुराना मकबरा, जिसे होरेमहेब नाम के एक मुंशी के लिए बनाया गया था, इसके प्रवेश द्वार पर 23 फुट ऊंचा (7 मीटर) पिरामिड था, जिसकी घोषणा पुरातत्वविदों ने 2014 में की थी।
शोधकर्ता आज भी उस योजना को समझने के लिए काम कर रहे हैं जिसके चलते इन पिरामिडों का निर्माण किया गया।जिसमें न केवल पिरामिड बनाने की जरूरत थी, बल्कि इन विशाल संरचनाओं के पास स्थित मंदिर, नाव के गड्ढे और कब्रिस्तान का भी निर्माण किया गया था। बता दें ‎कि 1000 साल से भी ज्यादा समय से पहले मिस्र के शासकों ने पिरामिडों का निर्माण किया था और अक्सर उन शासकों को इन बड़े स्मारकों के नीचे या भीतर दफनाया जाता था।