भोपाल । पंचायत चुनाव से बिजली कंपनी की चांदी हो गई है। जिला पंचायत, जनपद सदस्य व सरपंच का चुनाव लडऩे के लिए बिजली कंपनी का नो ड्यूज भी जमा करना है, ताकि स्पष्ट हो सके उनके ऊपर कोई बिल बकाया नहीं है। यह नो ड्यूज लेने चुनाव उम्मीदवार कंपनी के कार्यलयों में पहुंच रहे हैं। बकाया बिल जमा होने की स्थिति देखते हुए कंपनी द्वारा चुनाव के उम्मीदवारों को उनके दादा, माता-पिता, चाची-चाची व भाई के बकाया बिल भी बताए जा रहे हैं। इसके चलते कार्यालयों में झगड़े की स्थिति भी बन रही है।
गौरतलब है कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकतर बिजली बिल बकाया हैं। यह बकाया कृषि पंप व घरेलू उपभोक्ताओं पर है। ग्रामीण क्षेत्रों में बिल वसूलना काफी मुश्किल है, लोगों में बिल भरने की प्रवृत्ति नहीं है। इस कारण बकाया बढ़ता जा रहा है। वर्तमान में बकाया वसूलने के लिए अधिकारियों के लक्ष्य निर्धारित किए गए हैं। लाइन स्टाफ को भी वसूली के लक्ष्य निर्धारित किए हैं। पंचायत चुनाव की घोषणा हुई और नामांकन भरने की प्रक्रिया शुरू हुई तो लोग कंपनी के कार्यालय में पहुंचने लगे। बकाए का नो ड्यूज लेने के लिए आवेदन करने लगे। लाइन स्टाफ ने भी परिवारों के बकाए की कुंडली तैयार कर ली है। नो ड्यूज लेने वाले के परिवार के भी बकाए बताए जाने लगे हैं।
सात साल बाद आए चुनाव
पंचायत चुनाव सात साल बाद हो रहे हैं। पिछले चुनाव की तुलना में इस बार काफी परिस्थितियां बदली हैं। पुराने सरपंचों को देखते हुए इस बार उम्मीदवारों की संख्या बढऩे के आसार हैं। इस चुनाव में पैसा भी खर्च खूब हो रहा है।
उम्मीदवार बदलवाने लगे खराब ट्रांसफार्मर
पंचायत चुनाव के उम्मीदवारों के सामने मतदाता भी शर्ते रखने लगे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में ट्रांसफार्मर खराब पड़े हैं, लेकिन बकाया होने से ट्रांसफार्मर नहीं बदले जा रहे थे। अब सरपंच के उम्मीदवार वोट मांगने पहुंचने लगे हैं तो लोग ट्रांसफार्मर की मांग करने लगे हैं। उम्मीदवार बकाया बिल की दस फीसदी राशि जमा करके ट्रांसफार्मर बदलने की मांग कंपनी से कर रहे हैं। इससे नए ट्रांसफार्मरों की डिमांड भी आने लगी है। फीडर सेपरेशन योजना के तहत गांव में छोटे ट्रांसफार्मर लगाए थे, लेकिन लोड अधिक होने से बड़ी संख्या में फुंक चुके हैं। चुनाव के चलते यह ट्रांसफार्मर भी बदल जाएंगे और कंपनी को बकाया भी मिलने लगा है।