कराची । पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली को लेकर चल रही चर्चाओं के बीच पाकिस्‍तान की हकीकत अब सामने आने लगी है। पाकिस्तान के संघीय राजस्व बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष शब्बर जैदी ने कहा है कि उनका देश चीन और खाड़ी देशों के कर्ज में फंसकर ‘दिवालिया’ हो चुका है और ‘भ्रम में रहने’ से बेहतर है कि वास्तविकता को पहचाना जाए। जैदी 10 मई 2019 से छह जनवरी 2020 तक शीर्ष कर प्राधिकरण के अध्यक्ष थे। उन्‍होंने चीनी राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग के ड्रीम प्रॉजेक्‍ट चाइना पाकिस्‍तान इकनॉमिक कॉरिडोर पर भी गंभीर सवाल उठाए। जैदी ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) परियोजना में पारदर्शिता की वकालत करते हुए कहा कि वह खुद अभी तक पूरी तरह से नहीं समझ पाए हैं कि सीपीईसी क्या है। उन्होंने यहां हमदर्द विश्वविद्यालय में एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार में हर कोई कह रहा है कि सब कुछ अच्छा है, जबकि उनके विचार में इस समय पाकिस्तान दिवालिया है।
दरअसल, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने कार्यकाल के दौरान देश को कर्ज में डुबा दिया है। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि पाकिस्तान के पास चीन के कर्ज को चुकाने के लिए भी पैसे नहीं हैं। पाकिस्तान ने चीन के अलावा, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), सऊदी अरब, विश्व बैंक, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से भी भारी मात्रा में कर्ज लिया हुआ है। पाकिस्तान पर घरेलू और विदेशी कर्ज 50 हजार अरब रुपए से भी ज्यादा हो चुका है। एक साल पहले हर एक पाकिस्तानी के ऊपर लगभग 75 हजार रुपये का कर्ज था। चीन का कर्ज पहले से ही गर्त में डूबी पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति को और दबा रहा है। इस वित्तीय वर्ष के आखिरी में पाकिस्तान के ऊपर कुल विदेशी कर्ज 14 अरब अमेरिकी डॉलर को पार कर जाएगा। इसमें लगभग आधा कर्ज चीन के वाणिज्यिक बैंकों का है। पाकिस्तान ने इन बैंकों से मुख्य रूप से बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) से संबंधित परियोजनाओं के लिए कर्ज लिया हुआ है।
विश्व बैंक की ऋण रिपोर्ट 2021 में पाकिस्तान को भारत और बांग्लादेश के मुकाबले काफी खराब रेटिंग की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया था कि पाकिस्तान कर्ज के मामले में अब श्रीलंका के बराबर जाता दिखाई दे रहा है। इस रिपोर्ट में दक्षिण एशियाई देशों के कर्जों का विश्लेषण किया गया था। चीन ने श्रीलंका को भी अपने कर्ज के जाल में फांसकर हंबनटोटा पोर्ट पर अपना कब्जा जमा लिया है। इतना ही नहीं, श्रीलंका की विदेश नीति पर भी अब चीन का प्रभाव देखने को मिल रहा है। पाकिस्तान कर्ज को चुकाने में कभी भी डिफाल्टर घोषित नहीं हुआ है। एक बातचीत में इस्लामाबाद स्थित पाकिस्तानी राजनीतिक वैज्ञानिक, अर्थशास्त्री और वित्तीय विश्लेषक फारुख सलीम ने कहा कि पाकिस्तान ने कभी भी अंतरराष्ट्रीय कर्ज को चुकाने में चूक नहीं की है। डिफॉल्टर होने का ऐलान हमेशा से कर्ज देने वाली एजेंसियां करती हैं। जो संस्थान आपको पैसा उधार देता है, वह कानूनी रूप से आपको डिफॉल्टर घोषित करने का हकदार है। आमतौर पर, वे एक संप्रभु राज्य को डिफॉल्टर घोषित नहीं करते हैं क्योंकि ऐसा करने से कर्ज के रूप में दिए गए पैसे को खोने का जोखिम बढ़ जाता है।