नई दिल्ली । राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान पिछले साल अप्रैल से इस साल 07 दिसंबर तक 9800 से अधिक बच्चे अनाथ हो गए। शीर्ष अदालत महामारी के कारण अपने माता या पिता में से किसी एक को गंवा चुके बच्चों पर पड़े प्रतिकूल प्रभाव का स्वत: संज्ञान लेकर मामले की सुनवाई कर रही है। इसी मामले की सुनवाई के दौरान एनसीपीसीआर ने एक शपथ-पत्र में यह अहम जानकारी दी। एनसीपीसीआर ने बाल स्वराज पोर्टल-कोविड केयर पर अपलोड किए गए आंकड़ों का जिक्र करते हुए बताया कि अप्रैल, 2020 से लेकर 07 दिसंबर, 2021 तक 9855 बच्चे अनाथ हो चुके हैं। इस दौरान 1,32,113 बच्चे अपने माता-पिता में से किसी एक को खो चुके हैं और 508 बच्चों को छोड़ दिया गया है। न्यायालय ने सोमवार को कोविड महामारी के कारण अपने माता, पिता या दोनों को खोने वाले बच्चों की पहचान करने की प्रक्रिया की गति को बेहद धीमा करार दिया और राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को ऐसे बच्चों की पहचान और पुनर्वास करने के लिए तत्काल कदम उठाने के निर्देश दिए। उसने साथ ही कहा कि इसके लिए उसके निर्देशों का इंतजार नहीं किया जाए। ऐसे बच्चों के मामले का स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की पीठ ने कहा कि देश में लाखों बच्चे सड़क पर पहुंचने के कगारपर हो सकते हैं
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