बैतूल  जिले में एक ग्राम देवता के दरबार में होने वाले महाभोज में एक लाख से अधिक लोग भोजन करते हैं। इस महाभोज का आयोजन सात गांवों के लोग मिलकर करते हैं। यहां खाने की मात्रा इतनी अधिक होती है कि गर्मागर्म पूड़ियां बर्तनों में नहीं, बल्कि ट्रैक्टर ट्रॉलियों में रखी जाती हैं। 100 से 150 क्विंटल सब्जी और इतनी ही खीर भी बनाई जाती है। इसके बाद भी यहां अन्न का एक दाना फेंका नहीं जाता है। साथ ही इतनी भीड़ वाला महाभोज शांत माहौल में खत्म हो जाता है।

जिले बड़खेड़ गांव में पांढरया बाबा के दरबार में सोमवार को महाभोज का आयोजन किया गया। इस दौरान 6 ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में गर्मागर्म पूड़ियां, 25 बड़े गंजों में सब्जी और इसी तरह खीर भी रखी गई। यह पूरा भोजन करीब 150 लोगों ने मिलकर तैयार किया। महाभोज के प्रभारी दीनू बुवाड़े ने बताया कि इस बार महाभोज में 90 हजार से ज्यादा लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। वहीं पिछले साल यह आंकड़ा 75 हजार के करीब रहा था।

ग्राम देवता सबसे प्रथम पूज्य, ये है मान्यता...

मुलताई तहसील के बड़खेड़ गांव में पांढरया बाबा का दरबार है। ज़िले के सभी ग्राम देवताओं में पांढरया बाबा सबसे बड़े और प्रथम पूज्य हैं। निसंतान दंपत्ति बच्चे की कामना के साथ यहां बड़ी तादाद में पहुंचते हैं। मन्नत पूरी होने के बाद बच्चों की चोटी संस्कार भी यहीं किया जाता है। हर साल दत्तात्रेय जयंती के दूसरे दिन पांढरया बाबा की पूजा-अर्चना और फिर महाभोज का आयोजन किया जाता है। यह पूरा कार्यक्रम 24 घंटे तक चलता है। पुजारी अनिल साठे ने बताया कि दत्तात्रेय जयंती के दिन गांव में दही लई का कार्यक्रम होता है। इसके बाद यहां भोजन बनाने का काम शुरू हो जाता है। महाभोज की शुरुआत दोपहर 12 बजे से होती है और 11 बजे तक लगातार चलता रहता है।

20 साल से हो रहा महाभोज का आयोजन

जगदीश घनभोज ने बताया कि पांढरया बाबा के दरबार में होने वाला महाभोज 20 साल से हो रहा है। इसकी तैयारी दो महीने पहले से शुरू हो जाती है। 7 गांवों के लोग इस भोज के लिए सामग्री और नगद दान देते हैं। बड़खेड़ गांव के लोग दो दिन तक महाभोज में आने वाले लोगों के स्वागत की तैयारी करते हैं। यहां मप्र और महाराष्ट्र के कई जिलों के लोग महाभोज में शामिल होते हैं।