
नई दिल्ली । भारतीय जनता पार्टी से राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने सदन में आजादी की लड़ाई में शहीद हुए बच्चों की याद में म्यूजियम बनाने और मोनोग्राम प्रकाशित करने की मांग की थी।सांसद सिन्हा की मांग को केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने स्वीकार कर लिया है।इस संदर्भ में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने सिन्हा को पत्र लिखकर के जानकारी दी साथ ही साथ इस लेकर के सुझाव भी मांगे हैं।
बीजेपी सांसद सिन्हा ने 23 मार्च 2021 को राज्यसभा में आजादी के 75वीं सालगिरह के मौके पर मनाए जा रहे कार्यक्रमों में शहीद बच्चों के लिए म्यूजियम बनवाने के साथ-साथ मोनोग्राम प्रकाशित करने की मांग की थी। सिन्हा का कहना है कि आजादी की लड़ाई में सभी आयु वर्ग के लोगों ने हिस्सा लिया, जिसमें बच्चे भी शामिल थे।उनका कहना है कि 11 अगस्त 1942 को पटना सचिवालय में तिरंगा फहराने के संकल्प को लेकर के जिन सात सेनानियों ने शहादत दी, उसमें से चार उमाकांत सिन्हा, रामानंद सिंह रामगोविंद और देवीपद नवमीं कक्षा के छात्र थे।जबकि, राजेंद्र और सतीश झा दसवीं कक्षा के छात्र थे। इसके साथ ही साथ उड़ीसा के बाजी रावत ने मात्र 12 वर्ष की अल्पायु में अपनी शहादत दी थी।
बताया गया था कि 12 वर्ष की अल्पायु में असम के तिलेश्वरी बरुआ ने आजादी की लड़ाई में अपनी शहादत दी थी। इसके साथ ही साथ कनकलता बरुआ ने 17 वर्ष की उम्र में शहादत दी, जबकि खुदीराम बोस ने 18 वर्ष की आयु में अपनी जान को देश के लिए न्यौछावर कर दिया।सिन्हा का कहना है कि इनकी तरह सैकड़ों उदाहरण हैं, जो हमारे लिए और हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा और राष्ट्रवादी उर्जा के स्रोत हैं।इसकारण बीजेपी सांसद ने राज्यसभा में आजादी के 75वीं सालगिरह पर बाल स्वतंत्रता सेनानियों के संबंध में इतिहास के तहत जानकारियां एकत्रित करने और एक राष्ट्रीय संग्रहालय बनाने की मांग की थी। इसके साथ ही साथ सिन्हा ने राज्यसभा में प्रकाशन विभाग राष्ट्रीय अभिलेखागार और नेशनल बुक ट्रस्ट से परस्पर समन्वय के साथ इन बाल शहीदों पर मोनोग्राम प्रकाशित करने की भी मांग की थी।उनका कहना है कि यह उन शहीदों के लिए एक सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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