
नई दिल्ली । केंद्र सरकार के विवादित तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठनों के लंबे समय से चल रहे विरोध प्रदर्शन के बाद अंतत: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि कानूनों की वापसी के बाद भी आंदोलन में कुछ नरमी जरूर दिखी पर किसान नेता दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहने की बात कर रहे हैं, लेकिन आंदोलनकारियों की संख्या लगातार कम हो रही है। राकेश टिकैत की ओर से एमएसपी गारंटी कानून समेत 6 मांगों को पूरा होने तक डटे रहने की बात का किसानों पर ज्यादा असर नहीं दिख रहा है। किसानों के टेंट भले ही अब भी गाजीपुर में लगे हुए हैं, लेकिन बड़ी संख्या में लोग इन्हें खाली करके जा चुके हैं। हालांकि किसान नेता अब भी डटे रहने के मूड में हैं और उनका कहना है कि एमएसपी पर कानून बनने के बाद ही घर वापसी की जाएगी।
भारतीय किसान यूनियन के मेरठ मंडल के अध्यक्ष पवन खटाना ने कहा, 'हम पीएम नरेंद्र मोदी की ओर से लिए गए फैसले का सम्मान करते हैं। लेकिन किसान अब भी संतुष्ट नहीं हैं और 70 सालों से हमारी लड़ाई चली आ रही है कि फसलों का उचित दाम हमें मिलना चाहिए। यह बड़ा मुद्दा है, जिस पर पीएम नरेंद्र मोदी ने कोई बात नहीं की है। किसानों की फसलों पर डाका डाला जा रहा है। हम बीते एक साल से यहां बैठे हैं और अब भी किसानों से धान की फसल 1,000 या 1,200 रुपए क्विंटल के भाव ली जा रही है।' किसान नेता ने कहा कि क्या एमएसपी के लिए हमें एक बार फिर से इसी तरह का आंदोलन करना होगा।

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