- देव प्रबोधनी एकादशी से प्रारंभ होंगे मांगलिक कार्य
- 15 नवंबर यानी सोमवार को मनाई जायेगी देवउठनी एकादशी
- तुलसी विवाह के साथ ही होंगे वैवाहिक कार्य का शुभारंभ
- देवउठनी एकादशी को होता है विवाह का अबूझ मुहूर्त
- देव उठने के साथ चातुर्मास भी पूर्ण होगा
- ज्योतिषाचार्य पं मनीष शास्त्री के अनुसार
👉सारंगपुर।।हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान विष्णु के शालीग्राम स्वरूप और माता तुलसी का विवाह किया जाता है। इस दिन को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। देवउठनी एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु चार महीने बाद योगनिद्रा से जागते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीहरि योग निद्रा से जागने के बाद सर्वप्रथम हरिवल्लभा यानी माता तुलसी की पुकार सुनते हैं। तुलसी विवाह के साथ ही विवाह के शुभ मुहूर्त भी शुरू हो जाते हैं।
👉 जानिए तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त और विधि-
देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह किया जाता है। हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का विशेष महत्व है। इस दिन से शुभ या मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, विधि-विधान के साथ तुलसी विवाह कराने वालों पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा रहती है। मान्यता है कि तुलसी विवाह करने से कन्यादान के समान पुण्य की प्राप्ति होती है। भगवान शालीग्राम और माता तुलसी का विवाह कराने से वैवाहिक जीवन सुखी रहता है। महिलाएं सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए इस दिन व्रत-पूजन करती हैं।
👉तुलसी विवाह 2021 शुभ मुहूर्त-
एकादशी तिथि 15 नवंबर को सुबह 06 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगी और द्वादशी तिथि आरंभ होगी। तुलसी विवाह 15 नवंबर 2021, सोमवार को किया जाएगा। द्वादशी तिथि 16 नवंबर, मंगलवार को सुबह 08 बजकर 01 मिनट तक रहेगी।
तुलसी विवाह पूजा विधि-
- -एकादशी व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करें और व्रत संकल्प लें।
- -इसके बाद भगवान विष्णु की अराधना करें।
- -अब भगवान विष्णु के सामने दीप-धूप जलाएं। फिर उन्हें फल, फूल और भोग अर्पित करें।
- -मान्यता है कि एकादशी के दिन भगवान विष्णु को तुलसी जरुरी अर्पित करनी चाहिए।
- -शाम को विष्णु जी की अराधना करते हुए विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ करें।
- -एकादशी के दिन पूर्व संध्या को व्रती को सिर्फ सात्विक भोजन करना चाहिए।
- -एकादशी के दिन व्रत के दौरान अन्न का सेवन नहीं किया जाता ।।
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